________________ एयं पि जुत्तिजुत्तं, आइन्नं जेण दीसए बहुसो / नवरं नवभेयाणं, नेयं उवलक्खणं तं पि // 172 // पाढकिरियाणुसारा, भणिया चिइवंदणा इमा नवहा / अहिगारिविसेसा पुण, तिविहा सव्वा वि जं भणियं // 173 // अहंवा वि भावभेया, ओहेणं अपुणबंधगाईणं / सव्वा वि तिहा नेया, सेसाणमिमी न जं समए // 174 // मिच्छत्तुक्कोसठिई, न बंधिही अपुणबंधगो तेण / समयकुसलेहिँ सो पुण, इमेहिँ लिंगेहिँ नायव्वो // 175 // पावं न तिव्वभावा, कुणइ न बहु मन्नए भवं घोरं / उचियट्टिइं च सेवइ, सव्वत्थ वि अपुणबंधो त्ति // 176 // तत्थत्थे रोयंतो, सम्मट्ठिी असग्गहविमुक्को / देसे-यरविरइजुओ, चारित्ती तुलियसामत्थो // 177 // अहिगारीणमिमेसि, विनेया वंदणा तिहा कमसो / हीणा मज्झु-कोसा, सेसाणहिगारिणो चेव -कोण सेसाणहिगारिणो चेव // 178 // चिइवंदणासरूवं, भणियं वोच्छं विहाणमेत्ताहे / तं पुण संपुनाए, संपुन्नं होइ एवं तु / // 179 // तिन्नि निसीही तिन्नि य, पयाहिणा तिन्नि चेव य पणामा / तिविहा पूआ य तहा, अवत्थतियभावणं चेव // 180 // तिदिसिनिरक्खणविरई, पयभूमिपमज्जणं च तिक्खुत्तो / वनाइतियं मुद्दातियं च तिविहं च पणिहाणं // 181 // . एयासिं गाहाणं, आयरियपरंपरेण पत्ताणं / भावत्थो साहिज्जइ, सुहावबोहाहिँ गाहाहिं // 182 // इड्डीपत्तो सड्ढो, मज्जण-भूसणसमुज्जलसरीरो। . सयलपरिवारकलिओ, विहवोचियवाहणारूढो // 183 // .67