________________ तह बाहिओ न भयवं, संगमयविमुक्ककालचक्केणं / जह जणियभेरवरवं, नीणिज्जतेसु सल्लेसु. // 100 // तहविहविसुद्धभावा, जाया कल्लाणभायणं दो वि / तम्हा भावविसुद्धी, कम्मक्खयकारणं नेया // 101 // जो मंदराग-दोसो, परिणामो सुद्धओ तओ होइ / मोहम्मि य पबलम्मि, न मंदया हंदि ! एएसिं / // 102 // जो मोहकलुसियमणो, कुणइ अदोसे वि दोससंकप्पं / सो अप्पाणं वंचइ, पेयावमगो वणिसुउ व्व // 103 // सुद्धं पि भत्तपाणं, कुणइ असुद्धं असुद्धसंकप्पो / संकाकलुसियचित्तो, एसणनिरवेक्खभावो वा // 104 // अवसउणकप्पणाए, सुंदरसउणो असुंदरं फलइ / इय सुंदरा वि किरिया, असुहफला मलिणहिययस्स // 105 // सुत्ताविरुद्धकिरियं, खिसंतो निययघडियजुत्तीहि / पंडियमाणी पुरिसो, कलुसइ भावं बहुजणस्स // 106 // धम्मत्थी मुद्धजणो, अउव्वभणियम्मि लग्गइ सुहेण / फुडमेयं मोहिज्जइ, लोहिल्लो अलियवाईहिं // 107 // कह नाम भवारने, चिरकालं परियडिस्समेगागी। इय मेलइ जणसत्थं, नियए बोहे असग्गाही // 108 // धम्मत्थिणा हु पढमं, आगमतत्तं मणे धरेयव्वं / तत्थ पुण पयडमेयं, भणियं परमत्थच्छीहिं समइपवित्ती सव्वा, आणाबज्झ त्ति भवफला चेव / तित्थयरुद्देसेण वि, न तत्तओ सा तदुद्देसा // 110 // कयमेत्थ पसंगेणं, नोवाएयं न या वि मोत्तव्वं / / समईएऽणुट्ठाणं, परिणामविसुद्धकामेहिं