________________ वयभंगे गुरुदोसो थेवस्स वि पालणा गुणकरी ओ। गुरुलाघवं च नेयं धम्मम्मि अओ उ आगारा // 223 // जहगहियपालणेणं अपमाओ सेविओ धुवं होइ।. . सो तह सेविज्जंतो वद्धइ इयरं विणासेइ // 224 // अब्भत्थो य पमाओ तत्तो मा होज्ज कह वि भंगो त्ति / भंगे आणाईया तओ य सव्वे अणत्थ ति // 225 // . एवं पमाइणो कह पव्वज्जा होइ (गुरुराह) चरणपरिणामा / न य तस्सत्ताणतरमेव पमाओ खयं जाइ // 226 // जमणाइभवब्भत्थो तस्सेव खयत्थमुज्जएणेह। . .. जहगहियपालणेणं अपमाओ सेवियव्वो त्ति // 227 // अलमेत्थ पसंगेणं संपइ वोच्छामि पारणविहाणं / / साहूण सावगाण य जह भणियं पुव्यसूरीहिं // 228 // सड्ढो पच्चक्खाणे पुन्ने वि गए उ थेवकालम्मि / संपूइय तित्थयरं वंदित्ता तह य भावेणं // 229 // दाऊण उचियदाणं पडिलाभिय साहुणो विसेसेणं / संभालिय परिवार काउं तस्सोचियं किच्चं // 230 // उचियासणठाणगओ मंगलपाढं करेत्तु उवउत्तो / सुहधाउजोगभावेऽकिच्छेणमणाउलेण तहा // 231 // जम्हा भयकोहपरव्वसेण लुद्धेण रीणतिसिएण / मणसा सेविज्जंतं अनं सम्मं न परिणमइ // 232 // सरिडं च विसेसेणं पच्चक्खायं इमं गए पच्छा। . भुंजइ पगइविरुद्धं वज्जतो जुतमाहारं // 233 // एएणं चिय विहिणा समणा वि कुणंति पारणं पायं / जो पुण तेसि विसेसो तमहं वोच्छं समासेणं / // 234 // 302