________________ महुपोग्गलरसयाणं अद्धंगुलगं तु होइ संसटुं / गुलपुग्गलनवणीयं अद्दामलगं तु संसटुं // 212 // आमलकं-पीलूमयूरः इति सम्प्रदायः / अइरुक्खमंडगाई पडुच्च जं मक्खियं व पडिहाइ / तं पडुच्चमक्खियं खलु मक्खिय आभासमिइ भावो // 213 // जइ अंगुलीए घेत्तुं घयतेल्लाईहिं मंडगाईयं / मक्खइ तइया कप्पइ धाराए न कप्पइ अणुं पि // 214 // निव्विगइयभणणाओ विगइपमाणं पि एत्थ न विरुद्धं / अपमायवुड्डिहेउत्तणेण आयरणओ चेव // 215 // एत्तो च्चिय सुत्तेसुं चउहाहारस्स विरइभणणे वि / दुविहतिविहस्स करणं न विरुद्ध पोरिसाईसुं // 216 // एगासणसुत्तेणं बेयासणगं पि एत्थ न विरुद्धं / आसणधणिसाहम्मा विगईपरिमाणकरणं च . // 217 // अन्नं च इमं भणियं पयर्ड गिहिदेसपोसहे जम्हा / तम्हा गहणे सुत्तं एयस्स वि किं पि दट्ठव्वं // 218 // न य वच्चमभिग्गहियं सुत्तं एयस्स चउव्विहागारं / जेणेगासणगेणं समजोगक्खेममेयं पि . // 219 // एवं पुरिमड्डेणं अवड्डमवि सूइयं मुणेयव्वं / - जम्हा महानिसीहे तयं पि भणियं फुडं चेव // 220 // इय सड्डपोरिसी विय पोरिसिसुत्तेण सूइया चेव / न य पुण कत्थ वि दिट्ठा गंभीरं नवरि जिणवयणं // 221 // भणिओ सुत्तवियारो पइसुत्तं तत्थ देसियागारा / तेसिऽभिहाणम्मि पुणो कारणमिणमो मुणेयव्वं // 222 // .. 301