________________ संकियगहणे भोए चउभंगो तत्थ दुचरिमा सुद्धा / जं संकइ तं पावइ दोसं सेसेसु कम्माई . . . // 78 // सचित्ताचित्तमक्खियं दुहा तत्थ भूदगवणेहिं / तिविहं पढमं बीयं गरहियइयरेहिं दुविहं तु // 79 // संसत्तअचित्तेहि लोगागमगरिहिएहि य जईण / / सुक्कल्लसचित्तेहि य, करमत्तं मक्खियमकप्पं // 80 // पुढविदगअगणिपवणे परित्र्तणंते वणे तसेसुं च / निक्खित्तमचित्तं पिहु अणन्तरपरम्परमगेझं. सचित्तचित्तपिहीए चउभंगो तत्थ दुळुमाइतिगं / गुरुलहुचउभंगिल्ले चरिमे वि दुचरिमगा सुद्धा // 82 // खिवियन्नत्थमजोग्गं मत्ताउ तेण देइ साहरियं / तत्थ सचित्ताचित्ते चउभंगो कप्पइ उ चरमे // 83 // तत्थ वि य थोवबहुयं चउभंगो पढमतईयगाइण्णा / जइ तं थोवाहारं मत्तगमुक्खिविय वियरेज्जा // 84 // थेरपहुपंडवेविरजरियंधवत्तमत्तउम्मत्ते / / करचरणछिन्नपगलिय-नियलंडुयपाउयारूढो खण्डइ पीसइ भुञ्जइ कत्तइ लोढेइ विक्किणइ / पिले दलइ विरोलइ जेमइ जा गुव्विणि बालवच्छा य // 86 // तह छक्काए गिण्हइ घट्टइ आरम्भइ खिवइ दट्ट जई / साहारणचोरियगं देइ परक्कं परटुं वा // 87 // ठवइ वलि उव्वत्तइ पिठराइ तिहा सपच्चवाया जा। देन्तेसु एवमाइसु ओघेण मुणी न गिण्हन्ति // 88 // जोग्गमजोग्गं च दुवे वि मिसिउं देइ जं तमुम्मीसं / . इह पुण सचित्तमीसं न कप्पमियरम्मि उ विभासा . // 89 // 16