________________ जावइयं चेव कालं तु, सड्ढो सामाइयं करे। तत्तियं चेव कालं. तु, विनेओ समणो जहा . // 233 // सावज्जजोगपरिवज्जणवा, सामाइयं केवलियं पसत्थं / गिहत्थधम्मा परमं ति नच्चा, कुज्जा बुहो आयहियं परत्था // 234 / / जो समो सव्वभूएसु, तसेसुं थावरेसु अ / तस्स सामाइअं होइ, इइ केवलिभासिअं // 235 // सम्मत्तमाइयाणं, अइयाराणं विसोहणं / आवस्मयं च कायव्वं, सड्डेणं तु दिणे दिणे // 236 // पडिसिद्धाणं करणे, किच्चाणमकरणे य पडिक्कमणं / असद्दहणे य तहा, विवरीयपरूवणाए य // 237 // आइन्नं अणवज्जं च, गीयत्थाणं सुसंमयं / दीसइ अणुओगम्मि, तथा वायगभासिए // 238 // समणेण सावएण य, अवस्स कायव्वं हवइ जम्हा / अंतो अहनिसिस्स, तम्हा आनस्सयं नाम // 239 // आवस्सयं 1 अवस्सकरणिज्जं, 2 ध्रुव 3 निग्गहो 4 विसोही 5 य। अज्झयणछक्क 6 वग्गो 7 नाओ 8 आराहणा 8 मग्गो 10 // 240 // तं तु पोसहसालाए, घरे वा जिणमंदिरे / . साहूणं पायमूलम्मि, करेई जह संभवं // 241 // आवस्सयं करेमाणो, अट्टमटुं न चिंतए। . उवउत्तों सुत्तत्थे, अइयारेसु तहेव य . . // 242 // " आवस्सयं तु काऊणं, सज्झायं च तहेव य / तओ य पुच्छे सुत्तत्थे, गुरुणो गुणसायरे // 243 // विस्सामणं च काऊणं, पुच्छित्ता सेसकिच्चयं / गंतुं निययगेहम्मि, करेइ धम्मदेसणं // 244 // 210