________________ // 312 // . // 313 // // 314 // // 315 // : // 316 // // 317 // मणवयणकायदुप्पणिहाणं सामाइयम्मि वज्जिज्जा। सइअकरणयं अणवट्ठियस्स तह करणयं चेव सामाइयं ति काउं परचितं जो उ चितई सड्ढो। अट्टवसोवगओ निरत्थयं तस्स सामइयं कयसामइओ पुव्विं बुद्धीए पेहिऊण भासिज्जा। सइ अणवज्जं वयणं अन्नह सामाइयं न भवे. अनिरिक्खियापमज्जिय थंडिल्ले ठाणमाइ सेवंतो। हिंसाभावे वि न सो कडसामइओ पमायाओ न सरइ पमायजुत्तो जो सामइयं कया उ कायव्वं / कयमकयं वा तस्स उ कयं पि विफलं तयं नेयं काऊण तक्खणं चिय पारेइ करेइ वा जहिच्छाए। अणवट्ठियसामइयं अणायराओ न तं सुद्धं दिसिवयगहियस्स दिसापरिमाणस्सेह पइदिणं जं तु / परिमाणकरणमेयं बीयं सिक्खावयं भणियं देसावगासियं नाम सप्पविसनायओऽपमायाओ। आसयसुद्धीइ हियं पालेयव्वं पयत्तेणं वज्जिज्जा आणयणप्पओगपेसप्पओगयं चेव / सद्दाणुरूववायं तह बहिया पुग्गलक्खेवं आहारपोसहो खलु सरीरसक्कारपोसहो चेव / बंभव्वावारेसु य तइयं सिक्खावयं नाम देसे सव्वे य दुहा इक्विको इत्थ होइ नायव्वो। सामाइए विभासा देसे इयरम्मि नियमेण अप्पडिदुप्पडिलेहियसिज्जासंथारयं विवज्जिज्जा।। अपमज्जियदुपमज्जिय तह उच्चाराइभूमि च 190 // 318 // // 319 // // 320 // // 321 // // 322 // // 323 //