________________ पच्चक्खायम्मि इहं नागरगवहम्मि निग्गय पि तओ। तं वहमाणस्स न किं जायइ वहविरइभंगो उ // 120 // इय अविसेसा तसपाणघायविरई काउ तं तत्तो। थावरकायमणुगयं वहमाणस्स धुवो भंगो // 121 // तसभूयपाणविरई तब्भावम्मि वि न होइ भंगाय। . खीरविगइपच्चखाणे दहियपरिभोगकिरिय व्व // 122 // तम्हा विसेसिऊणं इय विरई इत्थ होइ कायव्वा / अब्भक्खाणं दुण्ह वि इय करणे नावगच्छंति // 123 // ओवम्मे तादत्थे व हुज्ज एसित्थ भयसद्दो त्ति / उभओ पओगकरणं न संगयं समयनीईए // 124 // ओवम्मे देसो खलु एसो सुरलोयभूय मो एत्थ / देसु च्चिय सुरलोगो न होइ एवं तसा ते वि // 125 // अतसवहनिवित्तीए थावरघाए वि पावए तस्स / वहविरइभंगदोसो. अतसत्ता थांवराणं तु // 126 // तादत्थे पुण एसो सीईभूयमुदगं ति निद्दिट्टो / / तज्जाइअणुच्छेया न य सो तसथावराणं तु // 127 // सिय जीवजाइमहिगिच्च अस्थि किं तीइ अपडिकुट्ठाए / भूअगहणे वि एवं दोसो अणिवारणिज्जो ओ // 128 // तसभूया वि तस च्चिय जं ता किं भूयसद्दगहणेणं / तब्भावओ अ सिद्धे हंत विसेसत्थभावम्मि // 129 // थावरसंभारकडेण कम्मणा जं च थावरा भणिया। इयरेणं तु तसा खलु इत्तो च्चिय तेसि भेओउ // 130 // नागरगम्मि वि गामाइसंकमे अवगयम्मि तब्भावे।। नत्थि हु वहे वि भंगो अणवगए किमिह गामेण * // 131 / / 14