________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // आइज्जमणाइज्जं जसकित्तीनाममजसकित्ती य। निम्माणनाममउलं चरमं तित्थयरनामं च गोयं च दुविहभेयं उच्चागोयं तहेव नीयं च / चरमं च पंचभेअं पन्नत्तं वीयरागेहि तं दाणलाभभोगोवभोगविरियंतराइयं जाण / चित्तं पोग्गलरूवं विनेयं सव्वमेवेयं / एयस्स एगपरिणामसंचियस्स उ ठिई समक्खाया। उक्कोसेयरभेया तमहं वुच्छं समासेणं , आइल्लाणं तिण्हं चरमस्स य तीस कोडिकोडीओ। अयराण मोहणिज्जस्स सत्तरी होइ विनेया नामस्स य गोयस्स य वीसं उक्कोसिया ठिई भणिया। तित्तीससागराइं परमा आउस्स बोद्धव्वा / वेयणिअस्स य बारस नामग्गोयाण अट्ठ उ मुहुत्ता / सेसाण जहन्नठिई भिन्नमुहुत्तं विणिहिट्ठा एवं ठिइयस्स जया घसणघोलणनिमित्तओ कह वि। खविया कोडाकोडी सव्वा इक्कं पमुत्तूणं तीइ वि य थोवमित्ते खविए इत्थंतरम्मि जीवस्स।। हवइ हु अभिन्नपुव्वो गंठी एवं जिणा बिति भिन्नम्मि तम्मि लाभो जायइ परमपयहेउणो नियमा। सम्मत्तस्स पुणो तं बंधेण न वोलइ कयाइ तं जाविह संपत्ती न जुज्जए तस्स निग्गुणत्तणओ। बहुतरबंधाओ खलु सुत्तविरोहा जओ भणियं पल्ले महइमहल्ले कुंभं पक्खिवइ सोहए नालि। .. अस्संजए अविरए बहु बंधइ निज्जरे थोवं . 166 // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // | // 34 // . // 35 //