________________ // 83 // // 84 // // 86 // // 87 // // 88 // असणं खाइमं पाणं साइमं भेसहोसहं / वत्थं पडिग्गहं चेव रओहरण कंबलं . . पीढगं फलगं चेव सेज्जा संथारगं तहा / धम्मोवगरणं णाणा णाणाईण पसाहणं असणाईण दाणेणं इहई भोगसंपया / इट्ठा दिट्ठा य दिटुंता मूलदेवाइणो बहू परलोगम्मि सत्थ धणो गामस्स चिंतओ। .. सेयंसो चंदणा दोणो संगमो कयउन्नओ सेज्जादाणं च साहूणं देयं दाणाणमुत्तमं / . सुद्धेणं जेण दिण्णेणं दिण्णं सेसं पि भावओ माया पिया य भाया य भगिणी बंधवा सुया / भज्जा सुण्हा धणं धण्णं चइत्ता मंडलं पुरं मोक्खमग्गं समल्लीणा छिदित्ता मोहबंधणं / एए साहू महाभागा वंदणिज्जा सुराण वि सागरो इव गंभीरा, मंदरो इव निच्चला / . कुंजरो इव सोंडीरा, मइंदो इव निब्भया सोमाचंदो व्व लेसाए, सूरो ब्व तवतेयसा / सव्वफासाण विसहा, जहा लोए वसुंधरा सुद्धचित्ता महासत्ता सारयं सलिलं जहा / गोसीसचंदणं चेव सीयला सुसुगंधिणो विरया पावठाणेसु, निरया संजमे तवे / निम्ममा निरहंकारा खंता दंता जिइंदिया अहो ! धण्णो हु सो देसो पुरं राया गिही गिहं / जं तुहिँ मण्णमाणा णं विहरंति सुसाहुणो // 89 // // 90 // // 91 // // 92 // // 93 // // 94 //