________________ जिणमंदिरभूमीए, दसगं आसायणाण वज्जेह / जिणदव्वभक्खणे, रक्खणे य दोषे गुणे मुणह // 48 // तंबोल-पाण-भोयणो-पाणह-थी भोग-सुयण-निट्ठवणं / मुत्तुच्चारं जूयं, वज्जे जिणमंदिरस्संतो // 49 // सत्थाऽवग्गह तिविहो, उक्कोस-जहन्न-मज्झिमो चेव / उक्कोस सट्ठिहत्थो, जहन्न नव सेस विच्चालो // 50 // गुरुदेवग्गहभूमीइ, जत्तओ चेव होइ परिभोगो / इट्ठफलसाहगो सइ, अणिट्ठफलसाहगो इहरा // 51 // निट्ठीवणाइअकरणं, असक्कहा अणुचियासणाइयं / आययणम्मि अभोगो, इत्थ य देवा उदाहरणं // 52 // देवहरयम्मि देवा, विसयविसविमोहिया वि न कया वि / अच्छरसाहि पि समं, हासखिड्डाइ वि. कुणंति // 53 // भक्खेइ जो उवक्खेइ, जिणदव्वं तु सावओ / . पन्नाहीणो भवे जो उ, लिप्पइ पावकम्मुणा .. // 54 // आयाणं जो भंजइ, पडिवनं धणं न देइ देवस्स / नस्संतं समुवेक्खइ, सो वि हु परिभमइ संसारे // 55 // चेइयदव्वं साहारणं च, जो दुहइ मोहियमइओ / धम्म व सो न जाणइ अहवा बद्धाउओ नरए // 56 // चेइयदव्वविणासे, तद्दव्वविणासणे दुविहभेए / साहू उविक्खमाणो, अणंतसंसारिओ भणिओ // 57 // जिणपवयणवुड्ढिकरं, पभावगं नाणदंसणगुणाणं / भक्खंतो जिणदव्वं, अणंतसंसारिओ होइ // 58 // जिणपवयणवुड्ढिकरं, पभावगं नाणदंसणगुणाणं / रक्खंतो जिणदव्वं, परित्तसंसारिओ होइ // 59 // .. . 133