________________ // 444 // .. // 447 // अहियं मरणं अहिअंच जीवियं पावकम्मकारीणं। .. तमसम्मि पडंति मया, वेरं वटुंति जीवंता . अवि इच्छंति अ मरणं, न य परपीडं करंति मणसा वि। जे सुविइयसुगइपहा, सोयरियसुओ जहा सुलसो // 445 // मूलग कुदंडगा दामगाणि उच्छूलघंटिआओ य। . पिंडेइ अपरितंतो, चउप्पया नत्थि य पसू वि . // 446 // तह वत्थपायदंडगउवगरणे जयणकज्जमुज्जुत्तो। जस्सऽट्ठाए किलिस्सई, तं चिय मूढो न वि करेई अरिहंता भगवंतो, अहियं व हियं व न वि इहं किंचि / वारंति कारवेंति य, चित्तूण जणं बला हत्थे // 448 // उवएसं पुण तं दिति जेण चरिएण कित्तिनिलयाणं / देवाण वि हुंति पहू, किमंग पुण मणुअंमित्ताणं ? // 449 // वरमउडकिरीडधरो, चिंचइओ चवलकुंडलाहरणो / सक्को हिओवएसा, एरावणवाहणो जाओ // 450 // रयणुज्जलाइँ जाई, बत्तीसविमाणसयसहस्साई। वज्जहरेण वराइँ, हिओवएसेण लद्धाइं // 451 // सुरवइसमं विभूइं, जं पत्तो भरहचक्कवट्टी वि। माणुसलोगस्स पहू, तं जाण हिओवएसेण // 452 // लभ्रूण तं सुइसुहं, जिणवयणुवएसममयबिंदुसमं / अप्पहियं कायव्वं, अहिएसु मणं न दायव्वं // 453 // हियमप्पणो करितो, कस्स न होइ गरुओ गुरू गण्णो ! / . अहियं समायरंतो, कस्स न विप्पच्चओ होइ? // 454 // जो नियमसीलतवसंजमेहिं जुत्तो करेइ अप्पहिय। / सो देवयं व पुज्जो, सीसे सिद्धत्थओ व्व जणे // 455 // 38