________________ // 408 // कह सो जयउ अगीओ? कह वा कुणऊ अगीयनिस्साए ? / कह वा करेउ गच्छं? सबालवुड्डाउलं सो उ सुत्ते य इमं भणियं अप्पच्छित्ते य देइ पच्छित्तं / पच्छित्ते अइमत्तं, आसायण तस्स महई उ // 409 // आसायण मिच्छत्तं, आसायणवज्जणा उ सम्मत्तं / आसायणानिमित्तं, कुव्वइ दीहं च संसारं // 410 // एए दोसा जम्हा, अगीय जयंतस्सऽगीयनिस्साए। वट्ठावय गच्छस्स य, जो अ गणं देयगीयस्स // 411 // अबहुस्सुओ तवस्सी, विहरिउकामो अजाणिऊण पहं / अवराहपयसयाई, काऊण वि जो न याणेइ // 412 // देसियराइयसोहिय, वयाइयारे य जो न याणेइ। अविसुद्धस्स न वड्ढइ, गुणसेढी तत्तिया ठाइ // 413 // अप्पागमो किलिस्सइ, जइ वि करेइ अइदुक्करं तु तवं / सुंदरबुद्धिइ कयं, बहुयं पि न सुंदरं होई .. अपरिच्छियसुयनिहसस्स केवलमभिन्नसुत्तचारिस्स। सव्वुज्जमेण वि कयं, अन्नाणतवे बहुं पडई / // 415 // जइ दाइयम्मि वि पहे, तस्स विसेसे पहस्सऽयाणंतो। पहिओ किलिस्सइ च्चिय, तह लिंगायारसुअमित्तो // 416 // कप्पाकप्पं एसणमणेसणं चरणकरणसेहविहिं / पायच्छित्तविहिं पि य, दव्वाइगुणेसु अ समग्गं // 417 // पव्वावणविहिमुट्ठावणं च अज्जाविहिं निरवसेसं / उस्सग्गववायविहिं, अयाणमाणो कहं जयउ ? // 418 // सीसायरियकमेण य, जणेण गहियाइँ सिप्पसत्थाई / नजति बहुविहाइं न चक्खुमित्ताणुसरियाई // 419 // .. . 34 // 414 //