________________ सो वि य निययपरक्कमववसायधिईबलं अगृहंतो / मुत्तूण कूडचरियं, जई जयंतो अवस्स जई // 384 // अलसो सढोऽवलित्तो, आलंबणतप्परो अइपमाई / एवंठिओ वि मन्नई, अप्पाणं सुट्ठिओमि (म्हि) त्ति // 385 // जो वि य पाडेऊणं, मायामोसेहिं खाइ मुद्धजणं / तिग्गाममज्झवासी, सो सोअइ कवडखवगु व्व // 386 // एगागी पासत्थो, सच्छंदो ठाणवासि ओसन्नो / दुगमाईसंजोगा, जह बहुआ तह गुरू हुंति // 387 // गच्छगओ अणुओगी, गुरुसेवी अनियओ गुणाउत्तो / संजोएण पयाणं, संजमआराहगा भणिया // 388 // निम्ममा निरहंकारा, उवउत्ता नाणदंसणचरित्ते / एगखि(क्खे)त्ते वि ठिया, खवंति पोसणयं कम्म / / 389 // जियकोहमाणमाया, जियलोहपरीसहा य जे धीरा / वुड्ढावासे वि ठिया, खवंति चिरसंचियं कम्म // 390 // पंचसमिया तिगुत्ता, उज्जुत्ता संजमे तवे चरणे / वाससयं पि वसंता, मुणिणो आराहगा भणिया // 391 // तम्हा सव्वाणुन्ना, सव्वनिसेहो य पवयणे नत्थि। आयं वयं तुलिज्जा, लाहाकखि व्व वाणियओ // 392 // धम्मम्मि नत्थि माया, न य कवडं आणुव्रत्तिभणियं वा।। फुडपागडमकुडिल्लं, धम्मवयणमुज्जुयं जाण // 393 // न वि धम्मस्स भडक्का, उक्कोडा वंचणा व कवडं वा। निच्छम्मो किर धम्मो सदेवमणुआसुरे लोए // 394 // भिक्खू गीयमगीए, अभिसेए तहय चेव रायणिए / एवं तु पुरिसवत्थु, दव्वाइ चउव्विहं सेसं // 395 // 33