________________ // 12 // जीवा सुहेसिणो तं, सिवम्मि सो संजमेण सो देहे / सो पिंडेसण सदोसो, पडिकुज्जे इमो नेया दुल्लहा य मुहादाई, मुहाजीवी वि दुल्लहा / मुहादाई मुहाजीवी, दो वि गच्छंति सोग्गइं // 13 // // 1 // // 2 // श्रीसूत्रकृत्राङ्गगशीला०टीकात:उद्धृतम् ॥स्त्रीवास्तविकताप्रकरणम् // को वीससेज्ज तासि कतिवयभरियाण दुब्वियड्डाणं / खणरत्तविरत्ताणं धिरत्थु इत्थीण हिययाणं अण्णं भणंति पुरओ अण्णं पासे णिवज्जमाणीओ / अन्नं च तासि हियए जं च खमं तं करिति पुणो को एयाणं णाहिइ वेत्तलयागुम्मगुविलहिययाणं / भावं भग्गासाणं तत्थुप्पन्नं भणंतीणं महिला य रत्तमेत्ता उच्छुखंडं च सक्करा चेव / सा पुण विरत्तमित्ता णिबंकूरे विसेसेइ महिला दिज्ज करेज्ज व मारिज्ज व संठविज्ज व मणुस्सं / तुट्ठा जीवाविज्जा अहव णरं वंचयावेज्जा // 5 // ण. वि रक्खंते सुकयं ण वि णेहं ण,वि य दाणसम्माणं / णं कुलं ण पुव्वयं आयति च सीलं महिलियाओ // 6 // मा वीसंभह ताणं महिलाहिययाण कवडभरियाणं / णिण्णेहनिद्दयाणं अलियवयणजपणरयाणं - // 7 // मारेइ जियंतं पि हु मयं पि अणुमरइ काइ भत्तारं / / विसहरगइव्व चरियं वंकविवंकं महेलाणं // 4 // // 8 // 304