________________ तसु सरूवु मुणि अणुवत्तिज्जइ कु वि दाणिण कु वि वयणिण लिज्जइ कु वि भएण करि पाणु धरिज्जइ सगुणु जिलृ सो पइ ठाविज्जइ // 76 जुट्ठह धिट्ठह न य पत्तिज्जइ जो असत्तु तसुवरि दइ किज्जइ। अप्पा परह न लक्खाविज्जइ नप्पा विणु कारणि खाविज्जइ // 77 // माय-पियर जे धम्मि विभिन्ना ति वि अणुवित्तिय हुंति ति धन्ना / जे किर हुति दीहसंसारिय ते बुलंत न ठंति निवारिय ताहि वि कीरइ इह अणुवत्तण भोयण-वत्थ-पयाणपयत्तिण / तह बुलंतह न वि रूसिज्जइ तेहि समाणु विवाउ न किज्जइ // 79 // इय जिणदत्तुवएसरसायणु इहपरलोयह सुक्खह भायणु। कण्णंजलिहिं पियंति जि भव्वई ते हवंति अजरामर सव्वइं // 8 // // 78 // 303