________________ जह वरजलभरिअसरे वायससाणेभहंसमाईणं। चायलिहणासिययरई जिणवरवयणे तह जिआणं // 2 // 18 // जवनाल 1 इक्खुदंडा 2 रस 3 गुड 4 खंडा 5 य सक्करा जच्चा 6 / गविला जहा जहुत्तर जिआणमिअ धम्मपरिणामा // 2 // 19 // तण 1 गोमय 2 कट्ठग्गी 3 पदीव 4 मणि 5 तार 6 सूर७ चंदाभा 8 धम्मरुई जीवाणं आसन्नासन्नसिद्धीणं // 2 // 20 // पुरसूअर 1 महिस 2 विसा 3 बग 4 गय 5 हंसा 6 य पंकजलरुइणो जह कज्जाकज्जि तहा विविहजिआ पावपुण्णमई // 21 // विट्ठी 1 भाडय 2 सग 3 तण 4 चंदण५ घणसार९ निहि 10 वहणसरिसा। दस धम्ममिच्छपावगभावा जीवाण भाविसिवा // 2 // 22 // // 2 // 23 // // 24 // // 25 // (तृतीयोऽशः) जं सुहं तस्स जे हेऊ, जं भयं जं च अप्पणो। . विणासी अविणासी अ, इयं जाणं मुच्चई भवा मुक्खो सुक्खं तस्स य हेऊ नाणाइआ भयं मोहो। कम्माणि अप्पणो तह विणसइ देहाइ न उ जीवो सुक्खं मुक्खे सो उण अणाइनयरस्स चायओ तं च / देइ पहू गुणचाया सो दुलहो दूसमे जम्हा ... मन्ने कलिकालजिआ सेवयजणवच्छला अचलचित्ता / निल्लोहा यअकिविणा साहसिआ नेरिसा पुग्विं रागाइसु अविहडणा मिच्छत्ताइसु मणस्स अचलत्ता / सग्गाईसु संतोसा गव्वाइसु निअसुकयचाया इट्ठविओगजराइसु वसणेसु वि पावओ अभीरुत्ता। पुव्वजिआ विवरीआ गया सिवं भवसुहं चइडं .. . 130 // 2 // 26 // // 2 // 27 // // // 28 //