________________ तह निरवज्जाहारं गहिऊणं गुरुसमीवमागम्म / आलोइत्ता सम्मं छज्जीवणियं भणित्ता यं / .. // 21 // दीणगुरुभत्तिपुव्वं दच्चा भुत्तुं गुरूणमह पच्छा। ..... आहारमायेरइ भोयणदोसं विवज्जंतो .: // 22 // मंडलिं पमज्जिऊणं किच्चा चिइवंदणं पुणो वि तहा / . सज्झायज्झाणपरो हुज्जा गुरुवयण पवणो य // 23 // पुण पोरिसिम्मि इरियं पुत्ती वसहिं तओ य कडिसुत्तं / चोलं तओ य अक्खा पुत्ती पुण तह य-सज्झायं // 24 // वंदणगं दाऊणं पच्चक्खाणं करिज्ज सत्तीए। उवहिसमग्गं तत्तो कंबलपुव्वं पडिलिहिज्जा // 25 // दवरयकंबल निसिहियदंडय मुणिवरझयं ति पडिलिहणं / जइ पुण उववासपरो तो पडिलेहिज्ज,कडिवत्थं // 26 // तो इरियं पुण दंडय पडिलेहित्ता य कायउद्धरणं (काजो)। इरियं पडिक्कमित्ता भंडोवगरणं पडिलिहिज्जा // 27 // सड्डाण पुणो एवं पोसहजुत्ताण तत्थ भिउ णत्थि। पडिलिहिय वसहिसालं पुच्छयं तउ अ आयरिया // 28 // तउ कढिऊण कज्जं इरियं पुण कुणइ जइजणुव्व परं / पुणरवि कायुद्धरणं सज्झायपरो तओ हुज्जा // 29 // सड्डीणं पुण एवं परं विसेसो त्थि वत्थपडिलेहे / उग्गहपटपरिहाणयवत्थे पुण कायउद्धरणं // 30 // तिगवेल कढिज्जह कायउद्धरणं च जीवजयणट्ठाए / पुण साहुणीणमेव य करेइ उग्घाडियसिरा य // 31 // पडिलेहणावियारो लिहिओ भव्वाण जाणणट्ठाए। . आणंदविमलसूरिस्सरसीसेण विजयविमलेणं // 32 // 50