________________ असासयं जीवियमाहु लोए, धम्मं चरे साहु जिणोवइटुं / धम्मो य ताणं सरणं गई य, धम्मं निसेवित्तु सुहं लहंति // 20 // // 1 // // 2 // // 3 // // 4 // = // 5 // = // विषयविरक्तिकुलकम् // विसमो विसयविसदुमो वेरग्गकरेण जेण मूलाओ। उम्मूलिओ सुहत्थी सो जयइ जिणो महावीरो विसयासुइलोलाणं विसयविसावेसपरवसमणाणं / अणुसासणं जियाणं इणमो भव्वा ? निसामेह जह मंसं कुट्ठीणं अहवा जह जरपराण घयपाणं / जह वि-दलं मूसीणं तह विसया मोहबहुलाणं ते पुण पंच पयारा सद्दा रूवा रसा य गंधा य / फासा य भावरोगो अणाइमं तेसु जा मुच्छा खीणे इमम्मि तं नत्थि जन्न दुक्खं जियाण क़िल झीणं / तं नत्थि किं पि कल्लाणमेत्थ भुवणे न जं. पत्तं विसयविवागनिहालणमिह विसयविरत्तसत्तसरणं च / संतोसभावणं चिय इमस्स खमणे निमित्ताई जो रोगो जो सोगो खेओ भेओ य जो य जीवाणं / . जं कारुन्न रुन्नं च कारणं तत्थ विसयविसं जं णारगाण दुक्खं जं च तिरिक्खाण जं च मणुयाणं / देवाण जं च तं पि य विसयपिवासुब्भवं सव्वं 'विसया विसं व विसमा विसया वडिसामिसं व मरणकरा / विसया सेविज्जंता छलबहुला तह मसाणं व निसियग्गखग्गपंजरघरं व सव्वंगछेइणो विसया / किंपागपागसरिसा विसया मुहमहुरभावेणं 34 // 6 // = // 7 = // 8 //