________________ अहिलससि चित्तसुद्धि, रज्जसि महिलासु अहह मूढत्तं / नीलीमिलिए वत्थम्मि, धवलिमा किं चिरं ठाई ? // 21 // मोहेणं भवदुरिए, बंधिअ खित्तो सि नेहनिगडेहिं / बंधवमिसेण मुक्का, पाहरिआ तेसु को राओ? // 22 // धम्मो जणओ करुणा, माया भाया विवेगनामेणं / खंति पिआ सप्पुत्तो, गुणो कुडुंबं इमं कुणसु // 23 // अइपालिआहिं पगइत्थिआहिं, जं भामिओसि बंधेउं / संते वि पुरिसकारे, न लज्जसे जीव ! तेणं पि // 24 // सयमेव कुणसि कम्मं, तेण य वाहिज्जसि तुमं चेव / रे जीव ! अप्पवेरिअ, ? अन्नस्स य देसि किं दोसं // 25 // तं कुणसि तं च जंपसि, तं चिंतसि जेण पडसि वसणोहे। एयं सगिहरहस्सं, न सक्किमो कहिउमन्नस्स // 26 // पंचिंदियपरा चोरा, मणजुवरन्नो मिलित्तु पावस्स। निअनिअअत्थे निरता, मूलट्ठिइं तुज्झ लुपंति // 27 // हणिओ विवेगमंती, भिन्नं चउरंगधम्मचक्कं पि / मुटुं नाणाइधणं, तुमं पि छूढो कुगइकूवे . इत्तिअकालं हुँतो, पमायनिदाइगलियचेअन्ो। जइ जग्गिओसि संपइ, गुरुवयणा ता न वेएसि ? // 29 // लोगपमाणोसि तुमं, नाणमओ गंतवीरिओ सि तुमं / नियरज्जठिई चिंतसु, धम्मज्झाणासणासीणो // 30 // को व मणो जुवराया, को वा रायाइ रज्जपब्भंसे / जइ जग्गिओसि संपइ, परमेसर ? पविस चेअन्नो (चेअन्नं)॥ 31 // नाणमओ वि जडो वि, पहू वि चोरु व्व जत्थ जाओ सि / भवदुग्गम्मि किं तत्थ, वससि साहीणसिवनयरे // 32 // // 28 // 215