________________ // 29 // तह जिणमयं सम्मं नाउं भवन्नवतारणं, अनिउणजणुप्पिक्खासुद्धप्पवित्तिनिवारणं / सुगुरुवयणासत्ता सत्ता दुरंतमणंतयं, भववणमइक्कंता णंता गया य परं पयं ता गीयत्थप्पवित्तिं मुणिय अणुगुणं चेव वट्टिज्ज तीए, धम्मत्थी धम्मकज्जे नउ समइ वियप्पेण किंची कयाइ / गीयाणापारतंतं सयलगुणकरं बिंति जं तित्थनाहा, तेणायाराइसुत्ते पढमगणहरेणावि तं दंसियंति इय गणिजिणवल्लहवयणमसमसंवेगभावियमणाणं / निसुणंत मुणंतकुणंतयाण लहु कुणइ निव्वाणं // 30 // // 31 // // 1 // // 2 // // 3 // षष्ठं कुलकम् / संसारचारकारणमिणमो धणकणगमाइसु ममत्तं / विसविसमा ही विसया पमुहसुहा परिणइदुहा य खरपवणुत्तालतणग्गलग्गजलबिंदुचंचलं जीयं / मयमत्ततरुणरमणीकडक्खचडुलाउ लच्छीओ दुव्वारतिव्वदुव्विसहदुक्खनरगगइहेउणो परमा / जीवाण रागदोसा अणंतभवजम्ममरणकरा . ता विसमकसायपिसायविनडियं जाणिऊ जयमिणमो / कुरु सयलकुसलमूलं सद्धं सद्धम्मकरणम्मि सुगुरुपयपउमपणई परोवयारे मई वएसु रई। चिइवंदणं तिसंझं कुणसु दुसंझं च सज्झायं जं जत्थ जया जेसिं जईण जोग्गं तयं तर्हि तइया / तेसि सद्धासकारसारमाणाए तह दिज्जा 191 // 4 // // 6 //