________________ पमत्तलोयाण विरूवरूवं, दट्ठण चिटुं कुपहट्ठियाणं / मणागमित्तं पि न वेमणस्सं, पमत्तया वा वि कर्हिचि किच्चा // 5 // न या वि तब्भासियभूरिभेय-पावोवएसे बहुसो वि सोच्चा / . पारद्धसद्धम्मविहीसु संका, अणायरो वा वि अणुट्ठियव्वो * // 6 // तेणेव जो बीहइ नो परेसिं, धम्माणभिण्णाण कुतित्थियाणं / पियानिवाईण य सो सुयम्मि, धम्माहिगारी भणिओ न अनो // 7 // सभावओ चेव हियाणुबंधि, पओयणं भूरिभवंतविग्घं / ता विग्घभावे वि न तत्थ धीरा, चलंति थेवं पि सुराचलु व्व // 8 // . संसारकज्जेसु सयं पि जीवा, निच्चं पसत्ता अपमाइणो य / धम्मत्थकज्जे पुण भीरुचित्ता, सया पमत्ता न समुज्जमंति // 9 // ता लोयसन्नाविपरंमुहेहि, समुझियासेसकदग्गहेहिं / इमे गुणा लोगदुगे वि रम्मा, सयम्मि देहम्मि निवेसियव्वा // 10 // अपुव्वपुव्वागमनाणवंछा, गुरूसु सुस्सूसणलंपडत्तं / परोवयारप्पवणासयत्तं, विमूढसंसग्गिविवज्जणं च // 11 // पगिट्ठधम्मप्पडिबद्धलोय-सुबंधुबुद्धी विमलासयत्तं / सया वि अत्तुक्करिसस्स चागो, अजुत्तनेवत्थअणिच्छणं च // 12 // अहासभासित्तमदीणवित्ती, अणुत्तणत्तं सुयसीलया य / गुणाहिएसुं परमो पमोओ, संसारकिच्चेसु परा विरत्ती // 13 // सव्वेसु कज्जेसु अणूसुगत्तं, अखुद्दभावो य अणिद्दयत्तं / सज्झायसज्झाणतवोवहाणं-आवस्सयाईसु समुज्जमित्तं // 14 // लोगस्स धम्मस्स य जं विरुद्धं, तव्वज्जणम्मी परमोऽणुबंधो / पइक्खणं दुक्कडनिंदणम्मि, रागो सुभट्ठाणपसंसणे य // 15 // कामपिवासाइसमुत्थदोस-दुरंतयालोयणलालसत्तं / पमायवायाहयजीवलोय-जायंतदुक्खोहविभावणं च . // 16 // 180