________________ // 7 // // 8 // * // 9 // // 10 // जो साहिज्जे वट्टइ आणाभंगे पयट्टमाणाणं / मणवायाकाएहिं समाणदोसं तयं बिति / . आणाभंगं दळु मज्झत्था ठिति जे तुसिणिआए / अविहिअणुमोयणाए तेसि पि य होइ वयलोवो तेसि पि य सामन्नं भटुं भग्गव्वया य ते टुति / जे समणा कज्जाइं, वित्तरक्खाइ कुव्वंति ता तित्थयराराहणपरेण सुयसंघभत्तिमंतेण / आणाभट्ठजणम्मि य अणुसट्ठी सव्वहा देया. सव्वो वि नाणदंसणचरणगुणविभूसियाण समणाणं / समुदाओ होइ संघो गुणसंघाउ त्ति काऊण इक्को वि नायवाई अवलंबतो विसुद्धववहारं / सो होइ भावसंघो जिणाणमाणं अलंघतो, एगो साहू इगा य साहुणी सावओ य सड्ढी य / आणाजुत्तो संघो सेसो पुण अट्ठिसंघाओ निम्मलनाणपहाणो दंसणसुद्धो चरित्तगुणवंतो। . तित्थयराण वि पुज्जो वुच्चइ एयारिसो संघो आगमभणियं जो पनवेइ सद्दहइ कुणइ जहसत्तिं / तयलुक्कवंदणिज्जो दूसमकाले वि सो संघो // 11 // // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // // 1 // // मिथ्यात्वमथनकुलकम् // न गुले मणिए गुलियं निबे कडुयं कया वि हवइ मुहं / . न गुणे हवंति दोसा वायामित्तेण कइया वि तंबमयं आभरणं कणगमयं भाणिऊण परिहेइ / . .. कणगमयं न हु जायइ बहुयाहि वि वासकोडीहिं . // 2 // 140