________________ जो गुणइ लक्खमेगं, पूएइ विहीइ जिणनमुक्कारो / तित्थयरनामगोत्तं, सो बंधइ नत्थि संदेहो // 12 // सट्ठिसयं विजयाणं पवराणं जत्थ सासओ कालो। तत्थ वि जिणनवकारो पढिज्जए एस पढमयरो // 13 // एरवएहिं पंचहिं, पंचहिं भरएहिं सो च्चिय पढंति / जिणनवकारो एसो सासयसिवसुक्खदायारो // 14 // जेण मरतेण इमो, नवकारो पाविओ कयत्थेण / सो गंतुं दियलोयं, परमपयं तं पि पावेइ // 15 // एसो अणाइकालो, अणाइजीवो,अणाइजिणधम्मो। .. तइया वि ते पढंता, एस च्चिय जिणनमुक्कारो // 16 // जे के वि गया मोक्खं, जे विय गच्छंति कम्ममलमुक्का / ते सत्वे चिय जाणसु जिणनवकारप्पभावेणं // 17 // न हु किंचि तस्स पहवइ डाइणि-वेयाल-रक्ख-मारिभयं / नवकारपभावेणं नासंति सयलदुरिआइं . // 18 // वाहि-जल-जलण-तक्कर-हरि-करि-संगाम-विसहरभयाई / नासंति तक्खणेणं, जिणनवकारप्पभावेणं // 19 // इय एसो नवकारो भणिओ सुर-सिद्ध-खयरपमुहेहिं / जो पढइ भत्तिजुत्तो सो पावइ परमनिव्वाणं // 20 // अडवि-गिरि-रण्णमझे भयं पणासेइ चिंतिओ मंतो। रक्खइ भवियसयाई, माया जह पुत्त-भंडाई - // 21 // थंभेइ जल जलणं, चिंतियमित्तो वि पंचनव(मु)कारो / . अरि-मारि-चोर-राउल-घोरुवसग्गं पणासेइ - // 22 // हिययगुहाए नवकार केसरी जाण संठिओ निच्चं / दुट्ठट्टकम्मदोघट्टघडयं ताण परिणटुं . // 23 //