________________ // 6 // तित्थयरतित्थपडिमा-तणुपरिभोगाइ कारणे वि पुणो / पुढवाइयभावम्मि वि, अभव्वजीवेर्हि नो पत्तं चउदस रयणत्तं पि, पत्तं न पुणो विमाणसामित्तं / सम्मत्तनाणसंयम, तवाइ भावा न भावदुगे अणुभवजुत्ता भत्ती, जिणाण साहम्मियाण वच्छल्लं / न य साहेइ अभव्वो, संवेगत्तं न सुप्पक्खं जिणजणयजणणिजाया, जिण जक्खा जक्खणीजुगपहाणा / आयरियपयाइ दसगं, परमत्थ गुणड्डमप्पत्तं अणुबंधहेउसरूवा, तत्थ अहिंसा तिहा जिणुदिट्ठा / दव्वेण य भावेण य, दुहा वि तेसिं न संपत्ता // 7 // // 8 // // 9 // // 1 // // 2 // // 3 // // विरतिफलकुलकम् // छत्तीसदिनसहस्सा, वाससये होइ आउपरिमाणं / झिझंतं पईसमयं, पिच्छओ धम्मम्मि जइअव्वं जइ पोसहसहिओ, तव नियमगुणेहिं गम्मइ एगदिणं / ता बंधइ देवाउ, इत्तियमित्ताई पलियाई सगवीसं कोडीसया, सत्तहुत्तरी कोडिलक्ख सहस्सा य / सत्तसया सत्तहुत्तरि, नवभार्गा सत्तपलियस्स अट्ठासीई सहस्सा, वाससये दुन्निलक्खपहाणं / एगोविअ जइ पहरो, धम्मजुओ ता इमो लाहो तिसयसगं चत्तकोडि, लक्खा बावीस सहस बावीसा / दुसइ दुवीस दुभागा, सुराउबंधो य इगपहरे दस लक्ख असीय सहसा, मुहुत्त संखाय होइ वाससए / जइ सामाइअसहिओ, एगोविअ ता इमो लाहो 133 // 4 // // 5 // // 6 //