________________ रागग्गिदीविएणं अट्टज्झाणं तु झायमाणेणं / जं मइलियं चरित्तं तिविहं तिविहेण तं निदे // 12 // दोसपिसायवसेणं नट्ठविवेगेण असुहलेसेणं / जं कलुसियं चरित्तं तिविहं तिविहेण तं निदे // 13 // कोहानलसंजलिओ मायासल्लेण सल्लियसरीरो। माणमहागहगहिओ जं भमिओ निदिमो तं पि // 14 // लोहसमुद्दनिबुडो मोहमहामज्जमोहियविवेओ। जं ववसिओ सुबहुसो तं पि य तिविहेणं निंदामि // 15 // आहार-भय-परिगह-मेहुणसन्नाए परिणओ संतो। जं पि अकज्जपवत्तो संजाओ तं पि निंदामि // 16 // चरणे करणे य तहा सीलंगेसु यं सुभिक्खुपडिमासु / जो अइयारो कत्थइ निंदामि य तं पि तिविहेणं // 17 // जिण-सिद्ध-गणहरिंद-उवज्झाए साहुणो य गुणपवरे / आसाइया मए जं पावेणं तं पि निंदामि। // 18 // अन्नं पि य दुच्चरियं पमायदोसेण जं कयं किंचि / जाणामि न याणामि य तं पि य तिविहेण पडिकंतं // 19 // उवगरणवग्गो [? य इमो] बज्झो सव्वो वि मज्झ संयोगो / दंसण-नाणसमग्गो मह जीवो सासओ एत्थ // 20 // जइ कह वि होज्ज मरणं पमायजुत्तस्सऽयाणमाणस्स / तो आहारं सव्वं चउविहरूवं पि वोसिरियं // 21 // सेसं चिय उवगरणं सेज्जं देहं च एत्थ जं मज्झ / तं चरिमे नीसासे तिविहं तिविहेण वोसिरियं // 22 // सव्वण्णू मह देवो सिद्धा साहू य सासणं सरणं / . जिणनवकारेण समं भवे भवे [? होउ] मह जम्मो . // 23 // 112