________________ // 7 // जइ पीडाए तुझं विहुरत्तं अस्थि जीव ! अइगरुयं / तह वि हु कन्नं दाउं एगं चिय सुणह मह वयणं . // 5 // अइकडुओ वि हु लिंबो अच्छी निमिलित्तु साहसं काउं। .. खणमेगं छुटिज्जइ जह दीहं जीवियत्थीहिं // 6 // तह सुहभावो होउं परमिढेि सरसु कुणसु धीरत्तं / चइउं कुटुम्बमोहं परिभाविसु एरिसं तत्तं जिणधम्मो मह सरणं गुरुचलणे भावओ नमसामि / सव्वजिएसुं मित्तिं नियदुच्चरियं च गरिहामि // 8 // आजम्मं जं तुमए तीसु वि संझासु मग्गियं भद्द ! / राहावेहसमं तं साहिय गिण्हेसु जयपडायं // 9 // जइ जिय ! तुह नवकारो होहिइ हिंययम्मि भावणासहिओ। ता सग्गसिवसुहं मह जाणसु करसंठियं अज्ज // 10 // एयं परमरहस्सं तं निसुण महाणुभाव ! एक्कमणो / जिणमयभावियचित्तो जं अज्ज करेसि सुहडत्तं // 11 // दाणं दाऊण बहुं तवं पि तविउं सुदीहरं कालं / . सीलं चरिऊण चिरं पढिउं तह णेगसत्थाई // 12 // कारिय जिणभवणाइं सद्धाए सेविऊण गुरुपाए। सव्वस्स वि फलमेयं जं अज्ज करेसि धीरतं // 13 // एयं काऊण तुमं मा पत्थसु मणुयसग्गरिद्धीओ। मग्गसु पुणो वि एवं सुहाण सव्वंगवरबीयं // 14 // मंगलनिहिपायपउमनाहम्मि जिणे हवेज्ज पडिवित्ती / जिणधम्मम्मि गुरूसु य चिंतिज्ज तुम इमं जीव ! // 15 // इय तं पंडियविहिणा काउं आराहणं चरिमसमए / ' तं नत्थि किं पि नूणं कल्लाणं जं न पाविहिसि . // 16 // 110