________________ किं ताए रिद्धीए चोरस्स व वज्झमंडणसमाए ? / / गुरुयणमणं विराहिय जं सीसा कह वि वंछंति // 15 // कंडूयणनिट्ठीवणऊसासपमोक्खमइलहुयकज्जं / बहुवेलाए पुच्छिय अन्नं पुच्छेज्ज पत्तेयं * // 16 // मा पुण एगं पुच्छिय कुज्जा दो तिन्नि अवरकिच्चाई। लहुएसु वि कज्जेसुं एसा मेरा सुसाहूणं // 17 // काउं गुरुं पि कज्जं न कहंति य पुच्छिया वि गोविति / जे उण एरिसचरिया गुरुकुलवासेण किं नाणं? // 18 // . जोग्गाजोग्गसरूवं नाउं केणा वि कारणवसेणं / सम्माणाइविसेसं गुरुणो दं(दि)संति सीसाणं // 19 // एसो सया वि मग्गो एगसहावा न हुंति जं सीसा। इय जाणिय परमत्थं गुरुम्मि खेओ न कायव्वो // 20 // मा चिंतह पुण एवं किं पि विसेसं न पेच्छिमो अम्हे। रत्ता मूढा गुरुणो असमत्था एत्थ किं कुणिमो ? . // 21 // रयणपरिक्खगमेगं मुत्तुं समकंतिवन्नरयणाणं / . किं जाणंति विसेसं ? मिलिया सव्वे वि गामिल्ला ? // 22 // एयं चिय जाणमाणा ते सीसा साहयंति परलोयं / ' अवरे उयरं भरिउं कालं वोलिति महिवलए .. // 23 // एयं पि हु मा जंपह गुरुणो दीसंति तारिसा नेव / जे मज्झत्था होउं जहट्ठियवत्थु वियारंति समयाणुसारिणो जे गुरुणो ते गोयमं व सेवेज्जा / मा चिंतह कुवियप्पं जइ इच्छह साहिउं मोक्खं // 25 // वक्कजडा अह सीसा के वि हु चितंति किं पि अघडतं / तह वि हु नियकम्माणं दोसं देज्जा न हु गुरूणं . // 26 // // 24 // 104