________________ सयलं पि हु सामग्गिं धम्मे लहिऊण करवि रे जीव / सययं चोइज्जतो मा हारह एरिसं जम्मं // 4 // कह एवं मणुयत्तं कह एसो तुज्झ जीव ! जिणधम्मो / हद्धी पमायजडिओ मा वच्चह घोरसंसारं का माया को य पिया को पुत्तो पणइणी वि का तुज्झ ? / जह विज्जुल्लाजुक्को दीसइ एनं तहा सयलं . // 6 // किं नेहं किं दविणं देहं पि हु तुज्झ जीव ! किं एयं ? / . . नडपेच्छणयसरूवं नाउं तं चयसु गयमोहो // 7 // एक्को च्चिय जीव ! तुमं भमिओ अइदुक्खिओ अणाहो य। ... तो तुज्झ परित्ताणं विहियं केणइ मणागं पि? // 8 // निसुणंतो जिणधम्म हुंकारं देसि वायरहिउ व्व / थेवं पि जं न कज्जे वट्टसि तं अहह मूढत्तं // 9 // पेच्छसि तुच्छे भोए नो पाससि नरयगरुयदुक्खाई / जीव ! बिरालो व्व तुमं पेच्छसि दुद्धं न उण लट्ठि. // 10 // अन्नभवे विहुरमणो कंपंतो दुस्सहायवेयणए / / हा हा करुणसरेणं पच्छा बहुयं विझूरिहिसि // 11 // सव्वो वि तुहुवएसो दिनो तत्तंसि जाइ जह बिंदू / पेरिज्जंतो सययं न हु चेयसि कीस अप्पाणं ? // 12 // दूरे सहणं दंसणमच्छउ नरउब्भवाए वियणाए / सुव्वंतीए वि जिए उकंपो जायए गरुओ // 13 // सा वि तए सहियव्वा कहं तए हियय ! कहसु सब्भावं / . कंटेण वि परिभग्गे जं कंदंतो तहा दिट्ठो // 14 // जइ वियरसि परपीडं नाऊण वि दुक्खकारणं विउलं / / तं जाणिय पाणहरं हा परि जसि विसं मूढ ! // 15 //