________________ // 7 // // 8 // भुंजंता महुरा, विवागविरसा किंपागतुल्ला इमे, कच्छुकंडुअणं व दुक्ख-जणया दाविति बुद्धिसुहं / मज्झण्हे मयतिण्हिअ व्व सययं मिच्छाभिसंधिप्पया, भुत्ता दिति कुजम्मजोणिगहणं, भोगा महावेरिणो सक्का अग्गी निवारेउं, वारिणा जलिओ वि हु। सव्वोदहिजलेणावि, कामग्गी दुन्निवारओ विसमिव मुहम्मि महुरा, परिणामनिकामदारुणा विसया। कालमणंतं भुत्ता, अज्ज वि मुत्तुं न किं जुत्ता ? // 9 // विसयरसासवमत्तो, जुत्ताजुत्तं न जाणइ जीवो। झुरइ कलुणं पच्छा, पत्तो नरयं महाघोरं / / 10 // जह निबदुमुप्पन्नो, कीडो कडुअंपि मन्नए महुरं / तह सिद्धिसुहपरुक्खा, संसारदुहं सुहं बिति - // 11 // अथिराण चंचलाण य, खणमित्तसुहंकराण पावाणं / दुग्गइनिबंधणाणं, विरमसु एआण भोगाणं // 12 // पत्ता य कामभोगा, सुरेसु असुरेसु तह य मणुएसु / न य जीव तुज्झ तित्ती, जलणस्स व कट्ठनियरेण // 13 // जहा य किंपागफला मणोरमा, रसेण वन्नेण य भुंजमाणा / ते खुट्टए जीविय पच्चमाणा, एओवमा कामगुणा विवागे // 14 // सव्वं विलविअंगीअं, सव्वं नटं विडंबणा। . सव्वे आभरणा भारा, सव्वे कामा दुहावहा // 15 // देविंदचक्रवट्टित्तणाई, रज्जाइं उत्तमा भोगा / पत्ता अणंतखुत्तो, न य हं तत्तिं गओ तेहिं // 16 // संसारचक्कवाले, सव्वे वि य पुग्गला मए बहुसो। आहारिआ य परिणामिया य, न य तेसु तित्तो हं // 17 // . . 85