________________ // 12 // .: // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // स्वयं शमयितुं नाशं विदित्वा सन्नतः स्तुते / चिराय भवतेपीड्य महोरुगुरवे शुचे ततोतिता तु तेतीतस्तोतृतोतीतितोतृतः। ततोऽतातिततोतोते ततता ते ततोततः येयायायाययेयाय नानानूनाननानन / ममाममाममामामिताततीतिततीतितः / गायतो महिमायते गा यतो महिमाय ते / पद्मया स हि तायते पद्मयासहितायते , सदक्षराजराजित प्रभो दयस्व वर्द्धनः / . सतां तमो हरन् जयन् महो दयापराजितः सदक्षराजराजित प्रभोदय स्ववर्द्धनः / स तान्तमोह रञ्जयन् महोदयापराजितः / नचेनो न च रागादिचेष्टा वा यस्य पापगा। नो वामैः श्रीयतेपारा नयश्री वि यस्य च पूतस्वनवमाचारं तन्वायातं भयाद्रुचा। स्वया वामेश पाया मा नतमेकाय॑ शंभव धाम स्वयममेयात्मा मतयादभ्रया श्रिया। स्वया जिन विधेया मे यदनन्तमविभ्रम अतमः स्वनतारक्षी तमोहा वन्दनेश्वरः / महाश्रीमानजो नेता स्वव मामभिनन्दन नन्द्यनन्त_नन्तेन नन्तेनस्तेभिनन्दन / नन्दनर्द्धिरनम्रो न नम्रो नष्टोभिनन्ध न नन्दनश्रीजिन त्वा न नत्वा ना स्वनन्दिन / नन्दिनस्ते विनन्ता न नन्तानन्तोभिनन्दन // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // . // 23 //