________________ // 7 // // 8 // // 9 // जितारिरजितो५२ धर्ममेघो३ऽमोघश्च४ शम्भवः५५ / सुप्रतिष्ठो 6 दृढरथो विश्वसेनो- महारथ:५९ चिन्तामणि:६° सुरमणि:६१ कामकुम्भ:६२ सुद्धम:६३ / प्ररोहो" दक्षिणावर्त:६५ कामधेनुपरकश्मल:६७ चितार्धप्रदश्चैत्य९ श्चिरच्छाय"श्चिरस्थिति:१ / जैवातृको २ऽनभिज्ञानो विस्पर्श:७४ स्पर्शगोचर:७५ असम्मोहाप्य उन्नेयः पुरुहूतोऽवतारमुक् / दशलाक्षणिको देशोऽनुद्देशोऽनुपचारभू:८३ बन्धुरो रुचिर पश्चारुर्बन्धू रुप्यश्च८ शोभन: / शतशाख:९० शतक्षश्च शततार:९२ शताध्वग:९३ शतोपायः९४ शताख्यान:९५ शतकीर्तिः९६ शताह्वय:९७ / शतगृह्यः८ शतोद्गीथ:९९ शतवृत्ति:७०० श्रियेऽस्तु नः // 10 // // 11 // // 12 // अष्टमशतकप्रकाशः // 1 // // 2 // धीशो' धियःपति(न्द्रो धिषण: शेमुषीधरः / धीगणो धीसमूहश्च गीष्पतिश्च गिराम्पतिः वाचस्पति वचःस्रष्टा र बृहदात्मा२ बृहस्पति:१३ / बृहदारण्यको[द्] द्योती मनीषीशो५ मनीषित:१६ नयोत्क्रान्तो नयोद्भेदी- ज्ञानगर्भ:१९ प्रभास्वर:२० / रत्नगर्भो' दयागर्भ:२२ पुण्यगर्भ:२२ स्वगर्भग:२४ लक्ष्मीश:२५ कमलानाथो६ निर्मन्तुमन्तुमोचन:२८ / आशामोचन२९ उद्दाम आशाविश्रामभाजनम्र धर्मपूयो२ धर्मगणो३२ धर्मनेमि रकर्मठ:३५ / धर्मचक्रायुधो धर्मघोषणो धर्मपोषण:२८ // 3 // // 4 // // 5 // 223