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________________ (परावर्तना प्रथमगाथावत्) - निन्दास्थः मोहवसेणं मणसा, देवभवे सद्द-असणसन्नाए / .. जं मे बद्धं पावं, अखंतिमंतेण तं निदे ... . // 9 // (परावर्तना :- रागवसेणं, दोसवसेणं तथा वयसा तणुणा तथा मणुअभवे तिरिअभवे नरयभवे तथा रूव०, रस०, गन्ध०, फास०, तथा० भयसन्नाए, लोगसन्नाए ओहसन्नाए तथा अमद्दवेण..... त्ति) . परमेष्ठिरथः भदं नाणजुआणं, जईण जिणवयण-जिणथुईकराणं / पाणिवहणियत्ताणं, इच्छाकारं भणंताणं // 10 // (परावर्तना :- वुड्डी, कित्ती तथा दिट्ठिजुआणं, चरणजुआणं तथा पवयण० इत्यादि(चतुर्भिः) तथा सिद्धथुई०, आयरियथुई०, उवज्झायथुई०, साहुत्थुई० तथा अलियवयणियत्ताणं...... इत्यादि (दशानाम्) तथा मिच्छाकारं....... (10) त्ति स्वाध्यायस्तपोरथोवा / नाणई देहविवेगी अट्टविवज्जिअ सुवायणिओ। गुरु वेयावच्चकरो, सुज्झइ आलोइउ कोइ // 11 // (परावर्तना :- सम्मरुई, चरणरुई तथा उवहिविवेगी, समत्तकसाई तथा रुद्दविवज्जिअ०, धम्मसुजुत्त०, सुक्कसुजुत्त० तथा सुपुच्छणिओ, परवत्तणिओ, अणुपे हजुओ, धम्मक हजुत्तो तथा वायगवेयावच्चकरो....... इत्यादि (10) तथा पडिकमणओ, तदुभया, विवेगओ, काउस्सगा, तवस्सिउं, च्छेयओ, मूलओ, ऽणवठ्ठप्पा, पारंचिअ त्ति) संसारपरिभ्रमणरथः / 151
SR No.004455
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages322
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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