________________ था। गयभयसंतत्तमणो अहयं पुण-जायओं त्ति मण्णंतो।। कहकह वि तिलंदुमाओ दिवसऽवसाणे समोइण्णो // 275 / / कुसिओ दिअं च काउं भरिओ तिल्लस्स सो मए हत्थी / ताहे दस तिल्लघडे पाउं भक्खेमि खलभारं // 276 // तिल्लस्स सुपडिपुण्णं तं दिइअं गिव्हिडं गओ गामं / गामबहिं तं दिइयं पायवसाहाइ णिक्खिविउं // 277 // णिअयं भवणमइगओ पुत्तं पेसेमि तिल्लदिइअस्स / जाहे उ ण पावेई रुक्खं पाडित्तु तो गिण्हे // 278 // एयं मे अणुभूअं सयमेव इमम्मि माणुसे लोए / जो ण उ पत्तिअइ महं सो देउ महायणे भत्तं . // 279 // सव्वकलापत्तट्ठा भणइ ससं खंडवाणई धुत्ती / . अत्थेस आगमो मे भारह-रामायणे अ सुओ // 280 // खंडा ससेण भणिआ भारह-रामायणे पुराणे वा। एआरिसाइं अ सहेऊआई. भण कत्थ भणिआई // 281 // कह तिलदुमो महल्लो तिल्लाण य कह महाणई वूढा / कह पीआ य दसघडा कह खलभारो मए खइओ // 282 // खंडाए ससो भणिओं सच्चं तं लोअबाहिरो तं सि / किं कइयाइ सुओ ते बालों वि जणो पयंपंतो // 283 // जह किर पाडलिपुत्तो(त्ते ?)णिम्मविआ मासपायवो(वा?) भेरी। तो किं सो तिलरुक्खो महप्पमाणो ण हुज्जाहि // 284 // सुव्वइ अ भारहम्मि वि गयाण पुण इत्थ दाणसलिलेणं / महई गई पवत्ता हयगयरहवाहिणी घोरा // 285 // तेषां कटतटभृष्टैर्गजानां मदबिन्दुभिः / प्रावर्त्तत नदी घोरा हस्त्यश्वरथवाहिनी // 286 // . 28