________________ . // 5 // बीजादिविंशिका // बीजाइकमेण पुणो जायइ एसुऽत्थ भव्वसत्ताणं / .. नियमा ण अनहा वि उ इट्ठफलो कप्परुक्खु व्व .. // 81 / / बीजं विमस्स णेयं दट्ठणं एयकारिणो जीवे / / बहुमाणसंगयाए सुद्धपसेसाइ करणिच्छा तीए चेवऽणुबन्धो अंकलंको अंकुरो इहं नेओ। कटुं पुण विनेया तदुवायनेसणा चित्ता // 83 // तेसु पवित्ती य तहा चित्ता पत्ताइसरिसिगा होइ / तस्संपत्ती पुष्पं गुरुसंजोगाइरूवं तु // 84 // तत्तो सुदेसणाईहिं होइ जा भावधम्मसंपत्ती / . तं फलमिह विनेयं परमफलपसागं नियमा // 85 // बीजस्स वि संपत्ती जायइ चरिमम्मि चेव परियट्टे / अच्चंतसुंदरा जं एसा वि तओ न सेसेसु // 86 // न य एयम्मि अणंतो जुज्जइ नेयस्स नाम कालु त्ति / ओसप्पिणी अणंता हुंति जओ एगपरियट्टे // 87 // बीजाइया य एए तहा तहा संतरेयरा नेया। . तहभव्वत्तक्खित्ता एगंतसहावऽबाहाए // 88 // तहभव्वत्तं जं कालनियइपुव्वकयपुरिसकिरियाओ। अक्खिवइ तहसहावं ता तदधीणं तयं पि भवे // 89 // एवं जेणेव जहा होयव्वं तं तहेव होइ त्ति / नय दिव्वपुरिसगारा वि हंदि एवं विरुज्झंति // 90 // जो दिव्वेणक्खित्तो तहा तहा हंत पुरिसगारु त्ति / .. तत्तो फलमुभयजमवि भण्णइ खलु पुरिसगाराओ // 91 //