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________________ अह देसणाइ णेवंसहावओ (मो) जं तओ अभव्वाणं / नो खलु मोक्खपसंगो कहं तु अन्नत्थ तं एवं? // 1056 / / भव्वत्ते सइ एवं तुल्ले एअम्मि कम्ममाईण। तमभव्वदेसणासममित्थं निअमेण दट्ठव्वं // 1057 // अह एअद्दोसभया ण मयं सइ तस्स तस्स भावत्तं / एवं च अत्थओ णणु इट्ठो अ मईअपक्खो त्ति // 1058 // जं तमाणाइसरूवं एक्कं पि हु तं अणाइमं चेव। सो तस्स तहाभावो वि अप्पभूओ त्ति काऊण 1059 // ण य सेसाणवि एवं कम्माईणं अणंगया एत्थं / तं चिअ तहासहावं जं ते वि अविक्खइ तहेव // 1060 / / तस्समुदायाओ चिअ तत्तेण तहा विचित्तरूवाओ। इअ सो सिअवाएणं तहाविहं वीरिअं लहइ ||1061 // तत्तो अ दव्वसम्मं तओ अ से होइ भावसम्मं तु / / तत्तो चरणकमेणं केवलनाणांइसंपत्ती / // 1062 // जिणवयणमेव तत्तं एत्थ रुई होइ दव्वसम्मत्तं / जहभावा णाणसद्धा परिसुद्धं तस्स सम्मत्तं // 1063 // सम्मं अन्नायगुणे सुंदररयणम्मि होइ जा सद्धा। तत्तोऽणंतगुणा खलु विनायगुणम्मि बोद्धव्वा . // 1064 // तम्हा उ भावसम्म एवंविहमेव होइ नायव्वं। पसमांइलिंगजणयं. निअमा एवंविहं चेव // 1065 // तत्तो अ तिव्वभावा परिसुद्धो हेउ (होइ) चरणपरिणामो। तत्तो दुक्खविमोक्खो सासयसोक्खो तओ मोक्खो // 1066 / / सुअधम्मस्स परिक्खा तओ कसाईहिं होइ कायव्वा / तत्तो चरित्तधम्मो पायं हेउ (होइ) त्ति काऊणं // 1067 //
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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