________________ मा उ? अण्णे भणंति जइणो तिविहाहारस्स तं खलु न जुत्तं / सव्वविरईउ एवं भेअग्गहणे कहं सा उ? // 528 // णणु अप्पमायसैवणफलमेअं दंसिअं इहं पुदि। तब्भोगमित्तकरणे सेसच्चाया तओ अहिओ // 529 // एवं कहंचि कज्जे दुविहस्स वि तं न होइ चिन्तमिअं। सच्चं जइणो नवरं पाएण न अन्नपरिभोगो // 530 // उवओगो एवं (अं) खलु एआ विगई न वित्ति जो जोगो। उच्चरणाई उ विहो उड्ड पि अ कज्जभोगगओ // 531 // जिणदिट्ठमेवमेअं निरभिस्संगं विवेगजुत्तस्स। भावप्पहाणमणहं जायइ केवल्हेउ त्ति // 532 // आह जह जीवघाए पच्चक्खाए न कारए अन्नं / भंगभयाऽसणदाणे धुवकारवण त्ति नणु दोसो नो कयपच्चक्खाणो आयरियाईण दिज्ज असणाई / ण य विरइपालणाओ आवच्चं पहाणयरं नो तिविहं तिविहेणं पच्चक्खई अण्णदाणकारवणं / सुद्धस्स तओ मुणिणो ण होइ तब्भंगहेउ त्ति // 535 // सयमेवऽणुपालणिअंदाणुवएसा य नेह पडिसिद्धा। तो दिज्ज उवइसिज्ज व जहासमाहीअ अन्नेसिं // 536 // कयपच्चक्खाणो वि अ आयरिअगिलाणबालवुड्डाणं / दिज्जाऽसणाइ संते लाभे कयवीरिआयारो // 537 // संविग्गअण्णसंभोइआण दंसिज्ज सड्ढगकुलाणि / अतरंतो वा संभोइआण जह वा समाहीए // 538 // भाविअजिणवयणाणं ममत्तरहिआण नत्थि उ विसेसो। अप्पाणम्मि परम्मि अतो वज्जे पीडमुभओ वि // 539 / / // 534 // 45