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________________ आहरणं सिट्ठिदुर्ग जिणिंदपारणगऽदाणदाणेसु / विहिभत्तिभावऽभावा मोक्खंगं तत्थ विहिभत्ती // 348 // वेसालिवासठाणं समरे जिण पडिम सिट्ठिपासणया। अइभत्ति पारणदिणे मणोरहो अन्नहिं पविसे // 349 // जा तत्थ दाणधारा लोए कयपुनड़ त्ति अ पसंसा। केवलिआगम पुच्छण को पुण्णो? जिण्णसिट्ठि त्ति // 350 // इअरे उ निअट्ठाणे गंतूणं धम्ममंगलाईअं। कटुंति ताव सुत्तं जा अन्ने संणिअटुंति // 351 // धम्मं कहण्ण कुज्जं संजमगाहं च निअमओ सव्वे। .. एद्दहमित्तं वऽण्णं सिद्धं जं जम्मि तित्थम्मि // 352 // दिति तओ अणुसढेि संविग्गा अप्पणा उ जीवस्स। रागद्दोसाभावं सम्मावायं तु मनंता / // 353 // बायलीसेसणसंकडम्मि गहणम्मि जीव ! न हु छलिओ। इण्डिं जह न छलिज्जसि भुंजतो रागदोसेहि // 354 // रागद्दोसविरहिआ वणलेवाइउवमाइ भुंजंति / / / कड्डित्तु नमोक्कारं विहिएँ गुरुणा अणुनाया / / 355 // निद्धमहुराइ पुव्विं पित्ताईपसमणट्ठया भुंजे। बुद्धिबलवद्धणट्ठा दुक्खं खु विगिचिउं निद्धं // 356 // अह होज्ज निद्धमहुराई अप्पपरिकम्मसपरिकम्मेहं। भोत्तूण निद्धमहुरे फुसिअ करे मुंचऽहाकडए // 357 // कुक्कुडिअंडगमित्तं अहवा खुड्डागलंबणासिस्स / लंबणतुल्ले (मित्तं) गेण्हइ अविगिअवयणो उ रायणिओ // 358 // गहणे पक्खेवम्मि अ सामायारी पुणो भवे दुविहा। गहणं पायम्मि भवे वयणे पक्खेवणं होइ // 359 // 30
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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