________________ आयरियं साइसयं तित्थयरं गणहरं महड्डियं / अझा (आसा) यंतो बहुसो अणंतसंसारिओ भणिओ // 1534 / / सइ सामत्थे पवयंणकज्जे उज्जुत्ते उ न तस्सावि / पायच्छित्तं जायइ अणायरेणं कहं किमवि // 1535 // आगमसुय आणा धारणा य जीयं च होइ ववहारो। केवलमणोहिचउदसदसनवपुव्वाइ पढमो य // 1536 // कहेहि सव्वं जो वुत्तो जाणमाणो विगूहइ / न तस्स दिति पच्छित्तं बिंति अन्नत्थ सोहियं // 1537 // न संभरेइ जे दोसा सब्भावा न पमायओ / पच्चक्खं साहति उ माइणो न उ साहेइ // 1538 // आयारपकप्पाइ सेसं सव्वसुयं विणिद्दिटुं। . देसंतरठियाणं गूढपयालोयणं आणा // 1539 // गीयत्थेणं दिण्णं सुद्धं अवहारिऊण तं चेव / दितस्स धारणा साओ धिई पइ धारणा रूवा // 1540 // दव्वाई चिंतिऊणं संघयणाईण हाणिमासज्ज / . पायच्छित्तं जीयं रूढि वा जं जहिं गच्छे // 1541 // तत्थ य इमे विसेसा आगमववहारणेहिं दायव्वा / जत्थ जहिं भिप्पायविसेसमुद्दिस्स सोहीए // 1542 // सुयधरेहिं लिंगस्स ववहारायारमाणसो कप्पो / तत्थं पुलोइज्ज सया दायव्वा ज़ जहासुद्धी // 1543 // पुव्वं जो संकलिया गूढपएसत्थसत्थपडिबद्धा / गीयत्थनिदेसेहिं दायव्वा जे जहा सोही // 1544 / / जह जम्मकम्मनाल-छिंदणओ अट्ठमाइ जं बद्धं / ववहारपए सोही सव्वत्थोचियविसेसेण // 1545 // 203