________________ जारिसयं जं तित्थं मूलुत्तरगुणगणस्स सुद्धीए / सव्वे देसे चउभंगीगमणेण साय पयट्टव्वं // 1510 // पाणिवहमुसावायादत्तअबंभप्परिग्गहनिसाइं / उक्किट्ठजहन्नमज्झिम-दव्वाइ चउव्विहाऽविरई // 1511 // एवं दुवालसविहा इक्किक्का अविरईओ बिसयरी / मूलगुणे छठाणा सव्वम्मि पडिसेवणा चउहा // 1512 // देसम्मि उत्तरगुणे सत्तण्हं हुंति चुलसीभेयाणं / जईण पुण चरणकरणे नायव्वं आसयगुणेहिं // 1513 // तत्थ ववहारषणगं नाऊणं दिज्जए जहाजुग्गं / पुरिसाणं चउकण्णं छकण्णगं होइ इत्थीणं // 1514 // सा वि हु पवयणभत्ता पवित्तिणी वा हविज्ज तत्तुल्ला / गुरुपक्खागुणकरी जा दक्खाऽतुच्छासया इत्थी // 1515 // अपरिस्सावी धीरो दढसंघयणी निरासवो हियओ।। पवयणसुत्तत्थोभयविण्णू वुड्डो गुरू भणिओ // 1516 // विहियप्पकयालोय-लोयणो सोहणट्ठगुणजुत्तो / खंतो दंतो संतो णासंसी गाहणाकुसलो // 1517 // आलोयणपडिक्कमणमीसविवेगे तहा विउस्सग्गे / तवच्छेयमूलअणव-ट्ठया पारंचियं चेव // 1518 // आलोइज्जइ गुरुणो पुरओ कज्जेण हत्यसयगमणे / / समिइपमुहाण मिच्छा-करणे कीरइ पडिक्कमणं // 1519 // सद्दाइएसु रागाइवियरणं साहिओ गुरूण पुरो। दिज्जइ मिच्छादुक्कड-मेयं मीसंति पच्छित्तं // 1520 // कज्जे अणेसणिज्जे गहिए असणाईए. परिच्चाओ। कारइ काउस्सग्गे दिढे दुस्सविपणमुहम्मि // 1521 // 201