________________ // 204 // न य एसा संजायइ अगारवासम्मि अपरिचत्तम्मि। नाभिस्संगेण विणा जम्हा परिपालणं तस्स आरंभपरिग्गहओ दोसा न य धम्मसाहणे ते उ। तुच्छत्ता पडिबंधा देहाहाराइतुल्लं तु - // 205 / तम्हा अगारवासं पुनाओ परिच्चयंति धीमंता। . सीओदगाइभोगं विवागकडुअंतिं न करिति - // 206 // केइ अविज्जागहिआ हिंसाईहिं सुहं पसाहति / नो अन्ने ण य एए पडुच्च जुत्ता अपुव्य (ण्ण) त्ति // 207 / / चइऊणऽगारवासं चरित्तिणो तस्स पालणाहेउं। जं जं कुणंति चिटुं सुत्ता सा सा जिणाणुमया // 208 / / अवगासो आय च्चिय जो वा सो व त्ति मुणिअतत्ताणं / निअकारिओ उ मज्झं इमो त्ति दुक्खस्सुवायाणं // 209 // तवसो अ पिवासाई संतो वि न दुक्खरूवगा णेआ। जं ते खयस्स हेऊ निद्दिट्ठा कम्मवाहिस्स . // 210 // वाहिस्स य खयहेऊ सेविज्जंता कुणंति धिइमेव / कडुगाई वि जणस्सा ईसिं दंसिंतगाऽऽरोग्गं // 211 // इअ एए वि अ मुणिणो कुणंति धिइमेव सुद्धभावस्स / गुरुआणासंपाडणचरणाइसयं निदंसिता // 212 / / ण य ते वि होंति पायं अविअप्पं धम्मसाहणमइस्सा / न य एगंतेणं चिअ ते कायव्वा जओ भणियं // 213 / / सो हु तवो कायव्वो जेण मणो मंगुलं न चिंतेइ। . जेण न इंदिअहाणी जेण य जोगा ण हायंति // 214 // देहे वि अपडिबद्धो जो सो गहणं करेइ अन्नस्सं। विहिआणुट्ठाणमिणं ति कह तओ पावविसओ त्ति ? // 215 // 18