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________________ दीणो जणपरिभूओ असमत्थो उअरभरणमित्ते वि। चित्तेण पावकारी तह वि हु पावप्फलं एअं // 192 // संतेसु वि भोगेसुं नाभिस्संगो दढं अणुट्ठाणं / अस्थि अ परलोगम्मि वि पुत्रं कुसलाणुबंधिमिणं // 193 // परिसुद्धं पुण एअं भवविडविनिबंधणेसु विसएसुं। जायइ विरागहेऊ धम्मज्झाणस्स य निमित्तं // 194 // जं विसयविरत्ताणं सुक्खं सज्झाण भाविअमईणं / तं मुणइ मुणिवरो च्चिअ अणुहवउ न उण अन्नो वि // 195 // कंखिज्जइ जो अत्थो संपत्तीए न तं सुहं तस्स / इच्छाविणिवित्तीए जं खलु बुद्धप्पवाओऽअं // 196 // मुत्तीए वभिचारो तं णो जं सा जिणेहिं पन्नत्ता / इच्छाविणिवित्तीए चेव फलं पगरिसं पत्तं // 197 // जस्सिच्छाए जायइ संपत्ती तं पडुच्चिमं भणिों। मुत्ती पुण तदभावे जमणिच्छा केवली भणिया // 198 // पढमं पि जा इहेच्छा सा वि पसत्थ त्ति नो पडिक्कुट्ठा / सा चेव तहा हेऊ जायइ जमणिच्छभावस्स // 199 // भणियं च परममुणिहिं (महासमणो) मासाइदुवालसप्परीआए। वय(ण)मायणुत्तराणं विइवयई तेअलेसं ति। // 200 // तेण परं से सुक्के सुक्कभिजाई तहा य होऊणं / पच्छा सिज्झइ भयवं पावइ सव्वुत्तमं ठाणं // 201 // लेसा य सुप्पसत्था जायइ सुहियस्स चेव सिद्धमिणं / इअ सुहनिबंधणं चिअ पावं कह पंडिओ भणइ // 202 // तम्हा निरभिस्संगा धम्मज्झाणम्मि मुणिअतत्ताणं। . तह कम्मक्खंयहेउं विअणा पुनाउ निद्दिट्ठा // 203 // . 17
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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