________________ इट्ठाणं विसयाइण वेयणाए रागरत्तस्स / अविओगज्झवसाण तह संजोगाभिलासो य. // 1318 // देविंदचक्कवट्टित्तणाई मुणरिद्धीपत्थणामईयं / अहमं नियाणचिंतणमन्नाणाणुगयमच्चंतं // 1319 // एवं चउव्विहराग-द्दोसमोहंकियस्स जीवस्स / अर्से ज्झाणं संसार-वद्धणं तिरियगइमूलं // 1320 // मज्झत्थस्स उ मुणिणो संकमे परिणामजणियमेयं ति / वत्थुस्सहावचिंतणपरस्स सम्मं सहंतस्स // 1321 / / कुणउ व्व पसत्था-लंबणस्स पडियारमप्पसावज्जं / तवसंजभपडियारं च सेवओ धम्ममनियाणं // 1322 // रागो दोसो मोहो जेण संसारहेयवो भणिया / अट्टम्मि ते तिन्नि वि तो तं संसारतरुबीयं // 1323 // कावोयनीलकालालेसाओ णाइसंकिलिट्ठाओ / . अट्टल्झाणोवगयस्स कम्मपरिणामजणियाओ . // 1324 // तस्स कंदणसोयणपरिदेवणताडणाइं लिंगाइं / . इटाणि?विओगा-विओगवियणानिमित्ताई // 1325 // निंदइ निययकयाई पसंसइ सविम्हिओ विभूईओ / पत्थेइ तासु रज्जई न तयज्ज़णपरायणो होइ . // 1326 // सद्दाइविसयगिद्धो सद्धम्मपरम्मुहो पमायपरो / - 'जिणमयमणविक्खंतो वट्टइ अट्टम्मि झाणम्मि // 1327 // तदविस्यदेसविरया पमायपरसंजयाणुगं झाणं / सव्वप्पमायमूलं वज्जेयव्वं जइजणेण // 1328 // सत्तवहवेहबंधणडहणंकणमारणाइपणिहाणं / अइ कोहगहघत्थं निग्घिणमणसोहमविवागं // 1329 // 255