________________ सामं समं च सम्मइगमिइ सामाइयस्स एगट्ठा / तस्स सामाइयं होइ एयं केवलिभासियं // 1222 // महुरपरिणाम सम्म समं तुला सम्मखीरखंडजुई। दोरे हारस्स ठिई इगट्ठमियाइं तु दव्वम्मि त दवम्मि // 1223 // आउवमाई परदुक्खमकरणं 1 रागदोसमज्झत्थं 2 / / नाणाइतियं 3 तस्साइ पोयणं 4 भावसामाई // 1224 // सामाइयं तु काउं गिहकज्जं जो.य चिंतए सड्ढो / अट्टवसट्टोवगओ निरत्थयं तस्स सामाइयं . // 1225 // न सरइ पमायजुत्तो जो सामाइयं कया य कायव्वं / / कयमकयं वा तस्स हु कयं पि विहलं तयं नेयं // 1226 // सामाइयम्मि उ कए समणो इव सावओ हवइ जम्हा / एएण कारणेणं बहुसो सामाइयं कुज्जा. - // 1227 // जीवो पमायबहुलो बहुसो वि य बहुविहेसु अत्थेसु / एएण कारणेणं बहुसो सामाइन कुज्जा // 1228 // दिवसे 2 लक्खं देइ सुवनस्स खंडियं एगो / एगो (इयरो) पुण सामाइयं करेइ न पहुप्पए तस्स // 1229 / / सामाइयं कुणंतो समभावं सावओ य घडियदुगं / . आउं सुरेसु बंधइ इत्तियमित्ताइं पलियाई // 1230 // बाणवईकोडीओ लक्खा गुणसट्ठि सहस्स पणवीसं / नवसय पणवीसाए सतिहा अडभागपलियस्स // 1231 // तिव्वतवं तवमाणो जं न वि निट्ठवइ जम्मकोडीहिं / तं समभावियचित्तो खवेइ कम्मं खणद्धेणं // 1232 // जे के वि गया मोक्खं जे वि य गच्छंति जे गमिस्संति / ते सव्वे सामाइयमाहप्पेणं मुणेयव्वं // 1233 // 240