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________________ निस्सग्गु 1 वएसरुरुइ 2 आणरुइ 3 सुत्त 4 बीयरुइ चेव 5 / अभिगम 6 वित्थाररुइ 7 किरिया 8 संखेव 9 धम्मरुई 10 // 947 // आइसु पुढवीसु तिसु खय 1 उवसम 2 खओवसम 3 सम्मत्तं / वेमाणियदेवाणं पणिंदि तिरियाण एमेव // 948 // सेसाण नारयाणं तिरिइत्थीणं च तिविहदेवाणं / / नत्थि हु खइयं सम्मं पंच नराणं न अन्नेसि // 949 // सयलमवि जीवलोए तेण इह घोसिओ अमाघाओ / इक्कं पि जो दुहत्तं सत्तं बोहेइ जिणवयणे . // 950 // .. सम्मत्तदायगाणं दुप्पडियारं भवेसु बहुएसु / सव्वगुणमीलियाहि वि उवयारसहस्सकोडिहिं // 951 // सम्मत्तम्मि उ लद्धे छ(ठ)इयाई नरयतिरियदाराई / दिव्वाणि माणुसाणि य मुक्खसुहाई सहीणाइ // 952 // सम्मत्तं सम्मत्तं सव्वे वि वयंति अप्पधम्मदिढे / जइ एवं तो मिच्छत्तवित्थारं कत्थइ न भवे // 953 // अरिहंतेसु य भत्ती निरुवयारा हविज्ज सुद्धप्पा / संजलणाण कसाए मंदरसे मंदमणुबंधे . // 954 // मूलोत्तरगुणसुद्धे सुसाहुवग्गे य जा य पडिवत्ती / समयखित्तपइटे भत्ती सम्मत्तजुयसंघे // 955 // तत्तमिणं जा बुद्धी अणत्थजिणिंदवक्कमणुसारि / मज्झत्थो तप्पक्खे मिच्छत्तच्चायओ सव्वं // 956 // सो सुद्धदंसणधरो अलंकियं तेण भूयलं सव्वं / अण्णो ममत्तमिच्छत्तवासिओ पासिसारिच्छो // 947 // कुसमयसुईण महणं सम्मत्तं जस्स सुट्ठियं हियए / तस्स जगुज्जोयकरं नाणं चरणं च भवमहणं . // 958 // 224
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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