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________________ एयं पंचवियप्पं मिच्छत्तमणाइणंतयं णेयं / तच्चाए सम्मत्तं पयडइ भव्वाण जीवाणं - // 911 // न वि तं करेइ अगी नेव विसं नेव किण्हसप्पो वा / जं कुणइ महादोसं तिव्वं जीवस्स मिच्छत्तं // 912 // कटुं करेसि अप्पं दमेसि अत्थं चिणसि धम्मत्थं / इक्कं न चयसि मिच्छत्तविसलवं जेण बुड्डिहसि // 913 // तो मिच्छमहादोसं नाऊण य जेण नासियमसेसं / ते धन्ना कयपुण्णा जे सम्मत्तं धरिज्जंता // 914 // अवउज्झियमिच्छत्तो जिणचेइयसाहुपूयणुज्जुत्तो। आयारमट्ठभेयं जो पालइ तस्स सम्मत्तं // 915 // तस्स विसुद्धिनिमित्तं भणियाई सत्तसट्ठि ठाणाई। धारिज्ज परिहरिज्ज व जहारिहं पवयणे परमो // 916 // चउसदहण 4 तिलिंगं 3 दसविणय 10 तिसुद्धि 3 पंचगयदोसं / अट्ठपभावण 8 भूसण 5 लक्खण 5 पंचविहसंजुत्तं // 917 // छव्विहजयणा 6 गार 6 छब्भावण भावियं 6 च छट्ठाणं / इय सत्तसट्ठि 67 लक्खणभेयविसुद्धं च सम्मत्तं // 918 // द्वारगाथे 2 परमत्थसंथवो खलु 1 सुमुणिय परमत्थजइजणणिसेवा / वावण्ण 3 कुदिट्ठीण य वज्जण 4 मिइ चउह सद्दहणं // 919 // परमागमसुस्सूसा 1 अणुराओ धम्मसाहणे परमो 2 / / जिणगुरुवेयावच्चे नियमो 3 सम्मत्तलिंगाइ // 920 // अरिहंत 1 सिद्ध 2 चेइय 3 सुए य 4 धम्मे य साहुवग्गे य 3 / आयरिय 7 उवज्झाए 8 पवयणे 9 दंसणे 10 विणओ // 921 // भत्ती पूयावणुज्जलणं वज्जणमवनवायरस / आसायणपरिहारो दंसणविणओ समासेण // 922 // 221
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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