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________________ // 899 // // 900 / / // 901 / / // 902 // // 903 // // 904 // मिच्छत्तथिरीकरणं अतत्तसद्धा पवित्तिदोसो य.। तह तिव्वकम्मबंधो पसंसओ इह कुदंसणिणं अन्नेसिं सत्ताणं मिच्छत्तं जो जणेइ मूढप्पा / सो तेण निमित्तेणं न लहइ बोहिं जिणाभिहियं जाणिज्ज मिच्छद्दिट्ठी जो पडणालंबणाइ घिप्पंति / जे पुण सम्मट्टिी तेर्सि पुण चढइ पयडीए दुविहं लोइयमिच्छं देवगयं गुरुगयं मुणेयव्वं / . लोउत्तरं पि दुविहं देवगयं गुरुगयं होइ , चउभेयं मिच्छत्तं तिविहं तिविहेण जो विवज्जेइ / अकलंकं सम्मत्तं होइ फुडं तस्स जीवस्स एयं अणंतरुत्तं मिच्छं मणसा न चिंतइ करेमि / सयमेसो व करेउ अन्नेण कए व सुट्ट कयं अभिग्गहियमणभिग्गहं च तहाऽभिनिवेसियं चेव / संसइयमणाभोगं मिच्छत्तं पंचहा एयं मिच्छत्तं पुण सव्वाणत्थाण निबंधणं मुणेयव्वं / - तत्थाभिग्गहियं पुण कविलाईणं मुणेयव्वं अणभिग्गहियं पुण कुदिट्ठिदिक्खाणमपत्तसमत्ताणं / मणुअतिरियाणमा-बालगोवालाईण विण्णेयं अभिनिवेसं गोट्ठामाहिलपभिईण लद्धजिणवयणे / अण्णह वागरमाणाण पच्छीमाए वि तब्भावो संसइयं पुण सुत्ते अत्थे वा तदुभए वि संकित्तं / जिणदत्तसड्डपमुहाण बोद्धसंगयकिलिट्ठाणं एगिदियविगलिंदियमुच्छिमपमुहाण वा अणाभोगं / ' अन्नाणुवओगो य तेसिं सव्वत्थ विप्फुरइ 220 // 905 // // 906 // // 907 // // 908 / / // 909 // // 910 //
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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