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________________ // 180 // 182 पुव्वधरकालविहिया पडिमाइ संति तिसु वि खित्तेसु / खेत्तक्खा वत्तक्खा महक्खयागं च दिट्ठायः // 177 // मालाधराइयाणं धुषणजलाइ फुसेण जिणबिबं / पुत्थयपत्ताइण वि उवरुवरि फुसणाईयं // 178 // ता नज्जइ तो दोसो करणे चउवीसवट्टयाएणं / आयरणाजुत्तीओ गंथेसु अदिस्सनाणत्ता // 179 // जिणरिद्धिदंसणत्थं एगं कारेइ कोइ भत्तिजुओ / पायाडिय पाडिहरे देवागमसोहियं चेयं दंसणनाणचरित्ता-राहणकज्जो जिणत्तियं कोइ / परमेट्ठिनमुक्कारोज्जमियं अह केइ पंचजिणा // 181 // कल्लाणगतवमहिमा-उज्जमियं भरहवासभावि त्ति / बहुमाणविसेसाओ केइ कारंति चउवीसं उक्कोसं सत्तरिसयं नरलोए विहरइ त्ति भत्तीए / सत्तरिसयं पि केइ बिंबाणं कारइ धणड्ढो .. // 183 // गंधव्वनट्टवाइय-लवणजलारत्तियाइ दीवाई / जं किच्चं तं सव्वं ओयरइ अग्गपूयाए // 184 // आरत्तियमवयारण मंगलदीवं च निम्मियं पच्छा / चउवारेहिं विनिम्मं छणं च विहिणाउ कायव्वं // 185 // पंचोवयारजुत्ता पूया अट्ठोवयारकलियाए / ' रिद्धिविसेसेण पुणो भेया सव्वोवयारा वि // 186 // लहियं पंचुवयारा कुसुमक्खयगंधधूवदीवेहिं / नेविज्जजलफलेहिं जुत्ता अट्ठोवयारा वि // 187 // सव्वोवयारपूया न्हवणच्चणभूसणत्थवाईहिं / फलबलिदीवाइनट्ट-गीयआरत्तियाईहिं // 188 // 159
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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