________________ कालोचिअगुणरहिओ जो अ ठवावेइ तह निविलृ पि / णो अणुपालइ सम्मं विसुद्धभावो ससत्तीए - // 1320 // एव पवत्तिणिसद्दो जो बूढो अज्जचंदणाईहिं / जो तं ठवइ अपत्ते जाणंतो सो महापावो // 1321 // कालोचिअगुणरहिआ जा अ ठवावेइ तह णिविलृ पि / णो अणुपालइ सम्मं विसुद्धभावा ससत्तीए // 1322 // लोगम्मि अ उवघाओ जत्थ गुरू एरिसा तहिं सीसा / लट्ठयरा अण्णेसि अणायरो होइ अ गुणेसु // 1323 // गुरुअरगुणमलणाए गुरुअरबंधो त्ति ते परिच्चत्ता। तदहिअनिओअणाए आणाकोवेण अप्पा वि // 1324 // तम्हा तित्थयराणं आराहिंतो जहोइअगुणेसु / दिज्ज गणं गीअत्थे णाऊण पवित्तिणिपयं वा // 1325 / / दिक्खावएहि पत्तो धिइमं पिंडेसणाइविण्णाआ। पेढाइधरो अणुवत्तओ अ जोगो सलद्धीए . // 1326 // एसो वि समं गुरुणा पुढो व गुरुदत्तजोग्गपरिवारो। विहरइ तयभावम्मी विहिणा उ समत्तकप्पेणं // 1327 / / जाओ अ अजाओ अ दुविहो कप्पो उ होइं णायव्वो।.. एक्विको वि अ दुविहो समत्तकप्पो अ असमत्तो // 1328 // गीअत्थ जायकप्पो अग्गीओ खलु भवे अजाओ उ। पणगं समत्तकप्पो तदूणगो होइ असमत्तो // 1329 / / उउबद्धे वासासु उ सत्त समत्तो तदूणगो इअरो। असमत्ताजायाणं आहेण ण होइ आहव्वं // 1330 // हवइ समत्ते कप्पे कयम्मि अण्णोऽण्णसंगयाणं पि। / गीअजुआणाभव्वं जहसंगारं दुवेण्हं पि // 1331 // 111