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________________ इय सव्वेण वि सम्मं सक्कं अप्पत्तिअं सइ जणस्स / नियमा परिहरिअव्वं इअरम्मि सतत्तचिंता उ // 1116 // कट्ठाई वि दलं इह सुद्धं जं देवयाइ भ (याउव) वणाओ। नो अविहिणोवणीअं सयं च काराविअं जं नो // 1117 // तस्स वि अ इमो नेओ सुद्धासुद्धपरिजाणणोवाओ। तक्कहगहणाओ जो सउणेअरसन्निवाओ उ ... // 1118 // नंदाइ सुहो सद्दो भरिओ कलसोत्थ सुंदरा पुरिसा। सुहजोगाइ अ सउणो कंदिअसद्दाइ इअरो उ // 1119 / / सुद्धस्स वि गहिअस्सा पसत्थदिअहम्मि सुहमुहुत्तेणं / संकामणम्मि वि पुणो विनेआसउणमाईआ // 1120 / / कारवणे वि अ तस्सिह भिअगाणऽइसंधणं न कायव्वं / अवियाहिगप्पयाणं दिट्ठादिट्ठप्फलं एअं' // 1121 // ते तुच्छगा वराया अहिएण दढं उविंति परितोसं / तुट्ठा य तत्थ कम्मं तत्तो अहियं पकुव्वंति . // 1122 // धम्मपसंसाए तह केइ निबंधंति बोहिबीआई। अन्ने उ लहुअकम्मा एत्तो च्चिअ संपबुज्झतिः // 1123 // लोए अ साहुवाओ अतुच्छभावेण सोहणो धम्मो / पुरिसोत्तमप्पणीओ पभावणा एव तित्थस्स // 1124 // सासयवुड्डी वि इहं भुवणगुरुजिणिदगुणपरिनाए / तबिंबठावणत्थं सुद्धपवित्तीउ नियमेण // 1125 // पिच्छिस्सं एत्थं इह वंदणगनिमित्तमागए साहू / कयपुने भगवंते गुणरयणणिही महासत्ते // 1126 // पडिबुज्झिस्संति इह दठूण जिणिदबिंबमकलंक। अण्णे वि भव्वसत्ता काहिति तओ परं धम्म ' // 1127 //
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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